मनेंद्रगढ़ में बन रहा अनोखा जुरासिक रॉक गार्डन:यहां प्राचीन समुद्री जीवों के जीवाश्म मिले; पर्यटन स्थल के रूप में किया जा रहा डेवलप
छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ वनमंडल में स्थित गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क को एक अनूठे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा समुद्री जीवाश्म पार्क है। यहां 29 करोड़ वर्ष पुराने समुद्री जीवाश्म मिले हैं। हसदेव नदी के किनारे लगभग 1 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस पार्क को राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक का दर्जा प्राप्त है। इसकी खोज 1954 में भूवैज्ञानिक एस.के. घोष ने कोयला खनन के दौरान की थी। यहां द्विपटली, गैस्ट्रोपॉड, ब्रैकियोपॉड, क्रिनॉइड और ब्रायोजोआ जैसे प्राचीन समुद्री जीवों के जीवाश्म मिले हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, पर्मियन युग में यह क्षेत्र समुद्र में डूबा हुआ था। ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ा। इससे समुद्री जीव चट्टानों में दब गए। लाखों सालों में ये जीवाश्म में बदल गए। बाद में जलस्तर घटने से ये ऊपर आ गए। वर्तमान में वन विभाग इस क्षेत्र को गुजरात और झारखंड के डायनासोर फॉसिल पार्क की तर्ज पर विकसित कर रहा है। हसदेव नदी के किनारे प्राकृतिक ग्रेनाइट पत्थरों को तराशकर प्राचीन जीवों की मूर्तियां बनाई जा रही हैं। अब तक जमीन, पानी और एम्फीबियन श्रेणी के 30 प्राचीन जानवरों की मूर्तियां बन चुकी हैं। यह पार्क गोंडवाना महाद्वीप के भूगर्भीय इतिहास को समझने का महत्वपूर्ण केंद्र है। 2015 में बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ पैलेंटोलॉजी, लखनऊ ने भी इसकी पुष्टि की है। यह छत्तीसगढ़ का पहला रॉक गार्डन होगा, जो पर्यटकों को प्राचीन काल की झलक दिखाएगा। इसके अलावा इंटरप्रिटेशन सेंटर भी बनाया गया है, जहां पर्यटक फॉसिल के पत्थर को देख सकेंगे और फॉसिल बनने की प्रक्रिया को भी पेंटिंग के माध्यम से जान सकेंगे। 450 करोड़ साल पहले पृथ्वी कैसे बना और अब तक उसमे क्या बदलाव हुए उसे भी जान सकेंगे। कैक्टस गार्डन और बम्बू सेटम भी विकसित किया जा रहा है। लोग हसदेव नदी में ही बम्बू राफ्टिंग का भी आनंद उठा सकेंगे। इस फॉसिल पार्क में नेचर ट्रेल का भी पर्यटक लुत्फ उठा सकेंगे।देश के दूसरे फॉसिल पार्क में अब तक इस तरह की फैसिलिटी नहीं है। सरगुजा संभाग में अब तक ज्यादातर पर्यटक मैनपाट को ही देखने आते हैं। वन विभाग का यह अभिनव पहल गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क को छत्तीसगढ़ के बड़े पर्यटन स्थल के रूप में पहचान दिलाएगा।
छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ वनमंडल में स्थित गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क को एक अनूठे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा समुद्री जीवाश्म पार्क है। यहां 29 करोड़ वर्ष पुराने समुद्री जीवाश्म मिले हैं। हसदेव नदी के किनारे लगभग 1 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस पार्क को राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक का दर्जा प्राप्त है। इसकी खोज 1954 में भूवैज्ञानिक एस.के. घोष ने कोयला खनन के दौरान की थी। यहां द्विपटली, गैस्ट्रोपॉड, ब्रैकियोपॉड, क्रिनॉइड और ब्रायोजोआ जैसे प्राचीन समुद्री जीवों के जीवाश्म मिले हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, पर्मियन युग में यह क्षेत्र समुद्र में डूबा हुआ था। ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ा। इससे समुद्री जीव चट्टानों में दब गए। लाखों सालों में ये जीवाश्म में बदल गए। बाद में जलस्तर घटने से ये ऊपर आ गए। वर्तमान में वन विभाग इस क्षेत्र को गुजरात और झारखंड के डायनासोर फॉसिल पार्क की तर्ज पर विकसित कर रहा है। हसदेव नदी के किनारे प्राकृतिक ग्रेनाइट पत्थरों को तराशकर प्राचीन जीवों की मूर्तियां बनाई जा रही हैं। अब तक जमीन, पानी और एम्फीबियन श्रेणी के 30 प्राचीन जानवरों की मूर्तियां बन चुकी हैं। यह पार्क गोंडवाना महाद्वीप के भूगर्भीय इतिहास को समझने का महत्वपूर्ण केंद्र है। 2015 में बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ पैलेंटोलॉजी, लखनऊ ने भी इसकी पुष्टि की है। यह छत्तीसगढ़ का पहला रॉक गार्डन होगा, जो पर्यटकों को प्राचीन काल की झलक दिखाएगा। इसके अलावा इंटरप्रिटेशन सेंटर भी बनाया गया है, जहां पर्यटक फॉसिल के पत्थर को देख सकेंगे और फॉसिल बनने की प्रक्रिया को भी पेंटिंग के माध्यम से जान सकेंगे। 450 करोड़ साल पहले पृथ्वी कैसे बना और अब तक उसमे क्या बदलाव हुए उसे भी जान सकेंगे। कैक्टस गार्डन और बम्बू सेटम भी विकसित किया जा रहा है। लोग हसदेव नदी में ही बम्बू राफ्टिंग का भी आनंद उठा सकेंगे। इस फॉसिल पार्क में नेचर ट्रेल का भी पर्यटक लुत्फ उठा सकेंगे।देश के दूसरे फॉसिल पार्क में अब तक इस तरह की फैसिलिटी नहीं है। सरगुजा संभाग में अब तक ज्यादातर पर्यटक मैनपाट को ही देखने आते हैं। वन विभाग का यह अभिनव पहल गोंडवाना मरीन फॉसिल पार्क को छत्तीसगढ़ के बड़े पर्यटन स्थल के रूप में पहचान दिलाएगा।