कोंडागांव के सरकारी ऑफिसों में मुगलकालीन शब्द:राजस्व विभाग में कानूनगो, वसील बाकी जैसे फारसी पदनाम अब भी प्रचलन में

कोंडागांव में मुगल और ब्रिटिश काल से चली आ रही प्रशासनिक शब्दावली आज भी सरकारी कार्यालयों में प्रचलित है। विशेष रूप से राजस्व और भूमि रिकॉर्ड विभाग में इन पदनामों का व्यापक उपयोग होता है। राजस्व विभाग में कानूनगो पद फारसी मूल का है, जो पटवारियों के कार्य की निगरानी और राजस्व रिकॉर्ड की देखरेख का काम करता है। वसील बाकी-नवीस पद बकाया वसूली से जुड़े लेखा-जोखा का काम देखता है। 'नवीस' फारसी शब्द है जिसका अर्थ है 'लिखने वाला'। तहसीलदार मनोज रावटे के अनुसार, आम लोगों को इन पदों का अर्थ समझने में कठिनाई होती है। इसलिए उन्हें सरल भाषा में समझाया जाता है। अब इन फारसी और उर्दू शब्दों को हिंदी में बदलने की तैयारी है। जैसे अर्जी नवीस को प्रार्थना पत्र लेखक, कानूनगो को कानून लेखापाल, नजारत शाखा को निगरानी शाखा, वसूली नवीस को वसूली लिपिक और वसील बाकी को बकाया राजस्व लिपिक के रूप में बदला जाएगा। यह प्रशासनिक शब्दावली मुगल शासनकाल से शुरू हुई और बाद में ब्रिटिश राज ने भी इसे अपना लिया। आजादी के 75 साल बाद भी ये पदनाम विशेषकर राजस्व विभाग, तहसील कार्यालयों और जिला कलेक्टर कार्यालयों में प्रचलित हैं।

Jun 13, 2025 - 10:58
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कोंडागांव के सरकारी ऑफिसों में मुगलकालीन शब्द:राजस्व विभाग में कानूनगो, वसील बाकी जैसे फारसी पदनाम अब भी प्रचलन में
कोंडागांव में मुगल और ब्रिटिश काल से चली आ रही प्रशासनिक शब्दावली आज भी सरकारी कार्यालयों में प्रचलित है। विशेष रूप से राजस्व और भूमि रिकॉर्ड विभाग में इन पदनामों का व्यापक उपयोग होता है। राजस्व विभाग में कानूनगो पद फारसी मूल का है, जो पटवारियों के कार्य की निगरानी और राजस्व रिकॉर्ड की देखरेख का काम करता है। वसील बाकी-नवीस पद बकाया वसूली से जुड़े लेखा-जोखा का काम देखता है। 'नवीस' फारसी शब्द है जिसका अर्थ है 'लिखने वाला'। तहसीलदार मनोज रावटे के अनुसार, आम लोगों को इन पदों का अर्थ समझने में कठिनाई होती है। इसलिए उन्हें सरल भाषा में समझाया जाता है। अब इन फारसी और उर्दू शब्दों को हिंदी में बदलने की तैयारी है। जैसे अर्जी नवीस को प्रार्थना पत्र लेखक, कानूनगो को कानून लेखापाल, नजारत शाखा को निगरानी शाखा, वसूली नवीस को वसूली लिपिक और वसील बाकी को बकाया राजस्व लिपिक के रूप में बदला जाएगा। यह प्रशासनिक शब्दावली मुगल शासनकाल से शुरू हुई और बाद में ब्रिटिश राज ने भी इसे अपना लिया। आजादी के 75 साल बाद भी ये पदनाम विशेषकर राजस्व विभाग, तहसील कार्यालयों और जिला कलेक्टर कार्यालयों में प्रचलित हैं।

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