सीटी स्कैन मशीन कभी भी दे सकती है जवाब… पिछली सरकार से मिले थे सिर्फ 31 करोड़, अब हो रही कंडम

CG News: मेडिकल कॉलेज को महज 31 करोड़ रुपए दिए। प्रदेश के सबसे बड़े कॉलेज के लिए यह अपर्याप्त फंड था। तत्कालीन मंत्री ने तो यहां तक कह दिया था कि स्वशासी मद में जमा राशि का उपयोग किया जाए।

Jun 30, 2025 - 11:49
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सीटी स्कैन मशीन कभी भी दे सकती है जवाब… पिछली सरकार से मिले थे सिर्फ 31 करोड़, अब हो रही कंडम

CG News: छत्तीसगढ़ के रायपुर में कांग्रेस की पिछली सरकार ने नई मशीन खरीदने व मेंटेनेंस के लिए 2018 से 2023 तक यानी पांच साल में पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज को महज 31 करोड़ रुपए दिए। प्रदेश के सबसे बड़े कॉलेज के लिए यह अपर्याप्त फंड था। तत्कालीन मंत्री ने तो यहां तक कह दिया था कि स्वशासी मद में जमा राशि का उपयोग किया जाए।

यह राशि छात्रों से एडमिशन के दौरान ली गई फीस व मरीजों से मिला शुल्क होता है। समय-समय पर हुई ऑटोनॉमस कमेटी की बैठक में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने ये आदेश डीन को दिए थे। स्वशासी मद की राशि से संविदा डॉक्टरों को वेतन का एक हिस्सा दिया जाता है। साथ ही कुछ जरूरी खर्च किया जाता है। इसलिए मशीनों के लिए बड़ा फंड खर्च करना संभव नहीं था।

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कभी भी जवाब दे जाती है सीटी स्कैन मशीन

दिवंगत पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे की सीटी एंजियोग्राफी जांच नहीं होने पर पत्रिका लगातार पड़ताल कर रहा है कि आखिर हाईटेक मशीनें क्यों कंडम हो रही हैं? इसका प्रमुख कारण समय-समय पर मशीनें नहीं खरीदनी हैं। सीटी इंजेक्टर मशीन सवा साल से बंद है, लेकिन प्रबंधन 15 लाख खर्च नहीं कर पा रहा है। प्रबंधन इसके लिए सीजीएमएससी को दोषी ठहरा रहा है कि समय पर टेंडर नहीं हो पा रहा है।

कॉलेज से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, मेडिकल कॉलेज व इससे संबद्ध आंबेडकर अस्पताल को हर साल नई मशीन व मेंटेनेंस के लिए 25 करोड़ के आसपास फंड लंबे समय से मिलता रहा है। पिछली सरकार ने पांच साल में महज 30.95 करोड़ रुपए दिए। इसका असर ये हुआ कि कॉलेज व अस्पताल में कई मशीनें बंद पड़ी हैं।

जो मशीनें एक्सपायर हो गई हैं, उनके स्थान पर नई मशीनें नहीं खरीदी जा सकी। इससे मरीजों की कई जांच ठप है। इससे उन्हें प्राइवेट डायग्नोस्टिक व लैब में जाकर जांच के लिए खर्च करना पड़ रहा है। अस्पताल में सीटी सिम्युलेटर, सीटी इंजेक्टर, चार एक्सरे, थ्रीडी इको, सी-आर्म मशीन कंडम है या खराब है।

मेडिसिन विभाग में नहीं होती इको जांच

मेडिसिन विभाग में 15 साल पुरानी इको कार्डियोग्राफी मशीन बंद है। यहां एमडी मेडिसिन यानी जनरल फिजिशियन मरीजों की जांच करते थे। ये मशीन बंद होने के कारण मेडिसिन विभाग का कोई भी डॉक्टर इको जांच नहीं कर पा रहे हैं। कई बार कार्डियोलॉजी विभाग में लगी मशीन में टेक्नीशियन मरीजों का इको टेस्ट करते हैं।

कभी-कभी कार्डियोलॉजिस्ट भी मरीजों की जांच कर लेते हैं। हालांकि विभाग में अब 5 कार्डियोलॉजिस्ट हो गए हैं। इससे विभाग की स्ट्रेंथ बढ़ी है। विभाग ने डीएम के लिए भी एनएमसी को आवेदन किया है।

पांच साल में मिली राशि

वर्ष राशि करोड़ में

2018-19 16.50

2019-20 00

2020-21 14.45

2021-22 00

2022-23 00

कुल 30.95 करोड़ रुपए

13 साल पुरानी 128 स्लाइस सीटी स्कैन मशीन भी आए दिन खराब हो रही है। कभी गर्म हो जाता है तो कभी पार्ट्स खराब होने से बंद हो जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर नई मशीनें नहीं खरीदी गईं तो मरीजों की जांच ठप हो जाएगी। एमआरआई-सीटी स्कैन 2012 में खरीदी गई थी। ये एक्सपायर होने वाली है।

इसलिए नई मशीन की जरूरत है, ताकि ओपीडी में आने वाले व भर्ती मरीजों की जांच की जा सके। अस्पताल में दोनों डिजिटल रेडियोग्राफी मशीन बंद है। इसमें इमेज अच्छा आता था, जिससे डॉक्टरों को बीमारी समझने में आसान होती थी। डीएसए भी पिछले हफ्ते सप्ताहभर से ज्यादा बंद रही।

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