NMC का बड़ा फैसला! अब सरकारी अस्पतालों के विशेषज्ञ डॉक्टर बिना पीएससी बने सकेंगे मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी
CG News: प्रदेश में मेडिकल टीचर बनने के लिए दो तरह की व्यवस्था है। रायपुर को छोड़कर प्रदेश के अन्य 9 मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की भारी कमी है।
CG News: पीलूराम साहू@ प्रदेश के सरकारी अस्पतालों (जिला अस्पताल व सीएचसी) में कार्यरत विशेषज्ञ डॉक्टर अब बिना पीएससी की परीक्षा में शामिल हुए व इंटरव्यू के बिना मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी बन सकेंगे। फैकल्टी की कमी दूर करने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन ने यह कवायद शुरू की है। विशेषज्ञों के अनुसार इससे फैकल्टी की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी।
CG News: मेडिकल टीचर बनने के लिए दो तरह की व्यवस्था
प्रदेश के 10 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी के 1290 पद खाली है। यह कुल पदों का 48 फीसदी है। एनएमसी के नियम के अनुसार 220 से ज्यादा बेड वाले सरकारी अस्पताल अब टीचिंग अस्पताल माने जाएंगे। यहीं के डॉक्टर मेडिकल छात्रों को पढ़ा सकेंगे। शर्त ये होगी कि ये डॉक्टर विशेषज्ञ यानी एमडी-एमएस हो। डीएनबी डिग्रीधारी डॉक्टर भी चलेगा।
प्रदेश में मेडिकल टीचर बनने के लिए दो तरह की व्यवस्था है। रायपुर को छोड़कर प्रदेश के अन्य 9 मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की भारी कमी है। नियमित फैकल्टी के लिए सीजीपीएससी के माध्यम से ओपन भर्ती होती है। इसमें इंटरव्यू के आधार पर डॉक्टरों का चयन किया जाता है। ये भर्ती केवल असिस्टेंट प्रोफेसरों के लिए होती है। एसोसिएट व प्रोफेसर प्रमोशन के पद है।
प्रमोशन के पदों पर नियुक्ति से विवाद संभावित
यानी इसमें सीधी भर्ती नहीं होती। वहीं संविदा भर्ती मेडिकल कॉलेज स्तर पर होती है। इसमें डीन एक चयन कमेटी बनाता है, जो इंटरव्यू के आधार पर डॉक्टरों का चयन करता है। एनएमसी की नई कवायद में डॉक्टर सीधे मेडिकल टीचर बन सकेंगे। 10 साल का अनुभव रखने वाले डॉक्टर एसोसिएट प्रोफेसर और 2 साल का अनुभव रखने वाले विशेषज्ञ असिस्टेंट प्रोफेसर बनाए जाएंगे।
छत्तीसगढ़ रिटायर्ड डीएमई के डॉ. विष्णु दत्त, सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को फैकल्टी बनाने की कवायद अच्छी पहल है। इससे फैकल्टी की कमी दूर करने में मदद मिलेगी। इस बात का ध्यान रखा जाए कि प्रमोशन के पद प्रभावित न हो। यानी नियमित फैकल्टी के प्रमोशन के पदों पर नियुक्ति से विवाद हो सकता है।
हो सकता है विवाद
सीधे प्रमोशन के पदों यानी एसो. प्रोफेसर व प्रोफेसर में नियुक्ति से बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है। असिस्टेंट प्रोफेसर में नियुक्ति से कोई विवाद नहीं होगा। दरअसल एसो. प्रोफेसर व प्रोफेसर प्रमोशन के पद है। इसमें 5 साल बाद असिस्टेंट प्रोफेसर व एसोसिएट तथा 3 साल एसोसिएट रहने के बाद प्रोफेसर बनता है। हालांकि प्रदेश में समय पर प्रमोशन नहीं होने से डॉक्टरों में नाराजगी है। मध्यप्रदेश में टीचर मेडिकल एसोसिएशन ने शासन को पत्र लिखकर प्रमोशन के पदों पर नियुक्ति नहीं देने की मांग कर दी है। इस मामले में प्रदेश के एसोसिएशन की गतिविधियां सामने नहीं आई हैं।
CG News: डीएमई कार्यालय के अनुसार
पद स्वीकृत खाली
प्रोफेसर 241 117
एसो. प्रोफेसर 399 196
असि. प्रोफेसर 644 332
प्रदर्शक 302 51
सीनियर रेसीडेंट 518 375
जूनियर रेसीडेंट 502 209
सीनियर रजिस्ट्रार 23 05
रजिस्ट्रार 31 05
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