रायपुर। महिलाएं कमरछठ (हलषष्ठी) व्रत पूजा करने के लिए गुरुवार को उपवास रखा था। इस अवसर पर शहर के पुरानी बस्ती, सुन्दर नगर, आमापारा, रामसागर पारा, फाफाडीह, गुढ़ियारी, शंकर नगर, शांति नगर, अवंति विहार, तेलीबांधा, संतोषी नगर, पचपेड़ी नाका के अलावा अन्य जगहों पर महिलाएं पूजा करते नजर आई। जगह-जगह सगरी खोदकर उसे सजाया गया। भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन किया। षष्ठी पर श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ के जन्म की तिथि है, जिन्हें हलधर कहा जाता है। व्रत पूजन के दिन महिलाएं हल चले हुए खेत में पैर नहीं रखती हैं। न ही उसमें उगने वाली फसल को ग्रहण करती हैं। इस कारण फसही चावल का भोग लगाया।भाजी का बड़ा महत्व: विधि विधान से होने वाली पूजा में प्रमुख रूप से 6 प्रकार की भाजी की सब्जी एवं बिना हल चले चावल का विशेष महत्व है। पत्तल, दोना, लाई भैंस का दही, भैंस का दूध, भैंस का घी का पूजा में उपयोग किया गया। भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष पूजा की गई, जहां पर भगवान से प्रार्थना कर संतान की रक्षा का आशीर्वाद मांगा।राजधानी के एक्सप्रेस-वे फाफाडीह के नीचे हलषष्ठी के दौरान कथा सुनते महिलाएं।राजधानी के रायपुरा में महिलाएं विधि विधान से पूजा करती हुई।राजधानी के परशुराम चौक भनपुरी गोवर्धन नगर में भगवान का पूजा करती महिलाएं।राजधानी के देवेंद्र नगर सेक्टर 3 में शिव मंदिर के पास हलषष्ठी पूजा महिलाएं करती हुई ।राजधानी के दुर्गा मंदिर श्रीनगर में महिलाएं पूजा के समय दूध सगरी में डालती हुई।