CG News: इंदिरा आवास में खोला स्कूल, किचन में पढ़ाई, गर्ल्स-बॉयज के लिए एक टॉयलेट
CG News: स्कूल में नर्सरी से लेकर आठवीं तक की कक्षाएं संचालित हैं। करीब 155 स्टूडेंट्स पंजीकृत हैं। यहां सिर्फ एक गंदा शौचालय है, जो बदबू और गंदगी से भरा रहता है।
CG News: नगर में संचालित ज्ञानोदय शिशु मंदिर में पढ़ाई नहीं, लापरवाही का पाठ पढ़ाया जा रहा है। मां सुंदर बाई सेवा समिति देवरी द्वारा संचालित यह निजी स्कूल शिक्षा के नाम पर बच्चों और उनके भविष्य से खुला खिलवाड़ कर रहा है। इंदिरा आवास योजना के मकान में चल रहे इस स्कूल की स्थिति बेहद दयनीय है।
यह स्कूल 2009 से संचालित है। कागजों में यहां सब कुछ ठीक है। प्रशिक्षित शिक्षक, सुविधाजनक भवन, शौचालय, पीने का पानी और बच्चों के लिए पर्याप्त स्थान। लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। इस स्कूल में नर्सरी से लेकर आठवीं तक की कक्षाएं संचालित हैं। करीब 155 स्टूडेंट्स पंजीकृत हैं। यहां सिर्फ एक गंदा शौचालय है, जो बदबू और गंदगी से भरा रहता है। नियमानुसार, छात्रों और छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय होना चाहिए, लेकिन यहां ऐसी सुविधा ही नहीं है।
प्रधानपाठिका का कहना है कि सफाईकर्मी नहीं आता इसलिए सफाई नहीं हो पाती। यह एक दिन की बात नहीं है। यह लापरवाही महीनों से जारी है। स्कूल में कक्षा 5वीं, 6वीं और 7वीं की पढ़ाई अप्रशिक्षित शिक्षिकाओं द्वारा करवाई जा रही है। जांच में सामने आया कि लोहारी की भारती वर्मा, शारदा निषाद और बुंगहन की चेतेश्वरी साहू पढ़ा रहीं हैं। इनमें से किसी के पास न डीएलएड है और न ही बीएड की डिग्री। प्रधानपाठिका का कहना है कि ये शिक्षिकाएं डीएलएड एंट्रेंस एग्जाम दे चुकी हैं, परिणाम अभी नहीं आया। यानी फिलहाल अप्रशिक्षित ही हैं। शिक्षकों का रवैया भी गैरजिम्मेदाराना है। बच्चों को किताब पकड़ाकर शिक्षिका मोबाइल में व्यस्त नजर आती हैं।
स्कूल इंदिरा आवास योजना के मकान में संचालित है, जो मूल रूप से गरीब परिवारों को घर देने के लिए बनाया गया था। एक कमरे के मकान में तीन-तीन कक्षाएं चल रही हैं। जगह की कमी इतनी है कि कुछ बच्चों को किचन में बिठाकर पढ़ाया जाता है। छात्रों के जूते, चप्पल और साइकिल रखने की कोई जगह नहीं है। बच्चे जूते बाहर उतारकर रखते हैं और साइकिल सड़क किनारे खड़ी करते हैं।
बारिश होने पर ये बच्चे एक ही छोटे कमरे में घंटों जानवरों जैसी स्थिति में ठूंस दिए जाते हैं। शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार, किसी भी निजी स्कूल को मान्यता देने से पहले भौतिक सत्यापन जरूरी होता है। भवन, शिक्षक, शौचालय, खेल सामग्री, दिव्यांग सुविधाएं ङ्त सबका निरीक्षण किया जाना चाहिए। ज्ञानोदय शिशु मंदिर इन सभी मानकों पर फेल है। फिर भी इसे मान्यता मिलना सीधे-सीधे शिक्षा विभाग की मिलीभगत की ओर इशारा करता है। इंदिरा आवास के किचन में बच्चों को अध्यापन करवाती हुई अप्रशिक्षित शिक्षिका।
5 जगहों पर चल रहे स्कूल 2400 बच्चे करते हैं पढ़ाई
इस संस्था के अंतर्गत देवरी, अर्जुनी और सुहेला में कक्षा 8वीं तक और रावन और हिरमी में कक्षा 12वीं तक 5 स्कूल संचालित हो रहे हैं। इनमें कुल 2400 से ज्यादा स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। अब बड़ा सवाल ये है कि शिक्षा विभाग क्या ऐसी मनमानी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करेगा? क्या फर्जी दस्तावेजों और झूठी जानकारी देकर चलाए जा रहे इन स्कूलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी? बच्चों के भविष्य से यह खुला खिलवाड़ है। यदि समय रहते इन गड़बड़ियों पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो शिक्षा की गुणवत्ता और अधिक गिर जाएगी।
इंदिरा आवास योजना के तहत बने मकान में किसी स्कूल के संचालित होने की जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो यह अनुचित है। हर साल मान्यता के लिए संबंधित संकुल प्राचार्यों से रिपोर्ट ली जाती है। इस बारे में पड़ताल करेंगे।
डॉ. संजय गुहे, डीईओ, बलौदाबाजार-भाटापारा जिला
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