Kedar Singh: नहीं रहे छत्तीसगढ़ की आत्मा को शब्दों में पिरोने वाले कवि केदार सिंह
Kedar Singh Passed Away: छत्तीसगढ़ी मिट्टी की खुशबू, लोकजीवन की सादगी और आत्मा को शब्दों में पिरोने वाले जनकवि केदार सिंह परिहार का रविवार सुबह निधन हो गया..
Kedar Singh passed away: छत्तीसगढ़ी मिट्टी की खुशबू, लोकजीवन की सादगी और आत्मा को शब्दों में पिरोने वाले जनकवि केदार सिंह परिहार का रविवार सुबह निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। ( CG News) उनकी पंक्ति- ’छत्तीसगढ़ ल छांव करे बर मंय छानही बन जातेंव’ आज भी घर-घर में गूंजती है।
Kedar Singh passed away: मुंगेली में हुआ अंतिम संस्कार
उनका अंतिम संस्कार मुंगेली जिले के केसतरा में हुआ। उनकी अंतिम यात्रा में भी उनके द्वारा लिखी गई यही पंक्ति गूंजती रही। उनके दामाद इंदराज सिंह ने बताया कि उन्होंने कभी अपनी कविता नहीं छपवाई, लेकिन बेटी प्रतिज्ञा सिंह के कहने पर वे माने गए और कुछ दिन पहले उनकी कविताओं का संग्रह मैं छान्ही बन जातेंव… तैयार हुई थी। उनकी सेहत खराब होने के कारण किताब की छपाई नहीं हो पाई।
प्रखर व्यक्तित्व व तेज तर्रार
कवि मीर अली मीर ने कहा कि रचनाकार और कवि केदार सिंह परिहार का जाना साहित्य जगत के लिए बड़ी क्षति है। वे प्रखर व्यक्तित्व व तेज तर्रार थे। अपने ढंग से अपनी कविताओं को कहते थे। अक्सर कवि समेलनों और परिवारिक कार्यक्रम में उनसे मुलाकात होती थी। कई मंचों पर उनके साथ कविता पढ़ने का मौका मिला। हमेशा हमारी बात गीत और कविताओं पर होती थी। हमेशा अपने अनुभव बताते थे। वे व्यक्तित्व और व्यक्तिगत दोेनों में अलग थे। वे सपन्न किसान थे और मालगुजारों की तरह रहते थे। हमेशा उनके साथ उनके गांव के लोग होते थे।
कवि रामेश्वर शर्मा ने बताया कि वे बहुत अच्छे गीतकार थे। मेरे खास मित्रों में थे। हमने लंबा समय साथ बिताया। छत्तीसगढ़ ने एक अच्छे रचनाकार को खो दिया। वे हमारे बीच हमेशा अमर हैं, उनका गीत अमर है।
साहित्य के साथ ही राजनीति में थी रुचि
केदार सिंह परिहार का जन्म 1952 को मुंगेली के पलानसरी गांव में हुआ था। उन्होंने मुंगेली से स्नातक और जांजगीर से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। कविता में बचपन से रुचिहोने के कारण उन्होंने विभिन्न शहरों में जाकर कविता पाठ किया। संगीत में भी रुचि होने के कारण ’उत्ती के सुरूज’ नामक संस्था का संचालन किया। कवि के रूप में अनेक राष्ट्रीय कवियों के साथ कविता पाठ किया, दूरदर्शन, आकाशवाणी में भी उन्होंने कविता पाठ किया।
छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाने का इनका सपना था और अपनी कविता के माध्यम से जन जागरुकता फैलाने का काम उन्होंने किया। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सदस्य के रूप में छत्तीसगढ़ी भाषा के व्याकरण निर्माण में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। साहित्य के साथ वे समाज और राजनीति में भी सक्रिय रहे। वे टिंगीपुर के सरपंच रहे। मुंगेली मंडी बोर्ड में अध्यक्ष रहे और इसी बीच कोऑपरेटिव बैंक और मध्य प्रदेश मंडी बोर्ड के सदस्य भी रहे। उन्होंने जिला प्रधान का चुनाव भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में लड़ा, जो किसी कारण से स्थगित हो गया।
साहित्य जगत हा सुन्ना होगे: मुख्यमंत्री साय
जनकवि केदार सिंह परिहार के निधन पर सीएम विष्णु देव साय ने ट्वीट कर शोक जताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पो मस्ट कर लिखा कि छत्तीसगढ़ ल छांव करे बर, मैं छानही बन जातेंव…,अइसन अंतस के गीत लिखइया, प्रसिद्ध कवि अऊ गीतकार केदार सिंह परिहार के देवलोक गमन के समाचार बड़ दु:खद हवय।
छत्तीसगढ़ के माटी अऊ संस्कृति ला अपन गीत अऊ शब्द मा जिवंत करइया परिहार के अवसान ले साहित्य जगत हा सुन्ना होगे हे। वहीं उपमुयमंत्री अरुण साव ने लिखा कि छत्तीसगढ़ की आत्मा को अपने शब्दों में पिरोने वाले लोक गायक एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता केदार सिंह परिहार के निधन का समाचार अत्यंत दु:खद है। अपने भावनात्मक गीत के माध्यम से उन्होंने छत्तीसगढ़ वासियों के दिलों में जगह बनाई है। उनका जाना हम सबके लिए अपूरणीय क्षति है।
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