छत्तीसगढ़ के दो शिक्षकों का अनूठा प्रयास, बच्चों के जीवन में आया बदलाव, राज्यपाल ने किया सम्मान
CG News: राजिम क्षेत्र के दो शिक्षक शामिल हैं। दोनों ने शिक्षा के क्षेत्र में अपने अनूठे प्रयासों से बच्चों के जीवन में बदलाव लाया है। दीप्ती मिश्रा गंडेचा ने शैडो टीचर कॉन्सेप्ट पर काम किया है...
ताबीर हुसैन. शिक्षक दिवस पर राजभवन में शिक्षकों को सम्मान किया गया। ( CG News ) इसमें राजिम क्षेत्र के दो शिक्षक शामिल हैं। दोनों ने शिक्षा के क्षेत्र में अपने अनूठे प्रयासों से बच्चों के जीवन में बदलाव लाया है। दीप्ती मिश्रा गंडेचा ने शैडो टीचर कॉन्सेप्ट पर काम किया है। शैडो टीचर यानी एक दिन किसी बच्चे को टीचर की जिम्मेदारी देना। वहीं गोपाल यादव ने बच्चों को जिज्ञासु बनाए रखने और आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया। प्रस्तुत हैं दोनों शिक्षकों से हुई बातचीत के प्रमुख अंश।
CG News: बच्चों को जिज्ञासु बनाए रखने के लिए आप क्या करते हैं?
मैं बच्चों के साथ आत्मीय व्यवहार करता हूं ताकि वे बेझिझक सवाल पूछ सकें। हर प्रश्न का गंभीरता से उत्तर देता हूं। कहानियों और प्रेरक प्रसंगों से पढ़ाई को रोचक बनाता हूं। कभी-कभी जानबूझकर अधूरी बात छोड़ देता हूं ताकि बच्चे अगले दिन खुद जानने की उत्सुकता से आएं।
आपके अनुसार अच्छे और महान शिक्षक में क्या फर्क होता है?
अच्छा शिक्षक विषय को पढ़ाने में दक्ष होता है। लेकिन महान शिक्षक बच्चों को प्रेरणा देता है। वह कबाड़ से जुगाड़ जैसे नवाचार करता है और शिक्षा के साथ संस्कार भी देता है।
अगर आपको शिक्षा नीति बनाने का मौका मिले तो आप किस पर जोर देंगे?
सबसे पहले मैं व्यावहारिक और कौशल-आधारित शिक्षा को प्राथमिकता दूंगा। ताकि बच्चे सिर्फ नौकरी खोजने वाले न बनें, बल्कि आत्मनिर्भर होकर रोजगार देने वाले बनें।
बच्चों की प्रतिभा पहचानने का आपका तरीका क्या है?
विभिन्न गतिविधियों पढ़ाई, खेल, कला, सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिए मैं बच्चों की रुचि और क्षमता को पहचानता हूं। उनकी छोटी-सी प्रतिभा को भी सराहता हूं ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़े।
कोई उदाहरण दीजिए जब आपने किसी कमजोर छात्र को आगे बढ़ाया।
यनुष्का नाम की बच्ची पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में कमजोर थी। मैंने उसे नृत्य के लिए प्रेरित किया। धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास बढ़ा, वह नियमित स्कूल आने लगी। आज वह 72त्न अंकों के साथ कक्षा पांचवीं पास कर चुकी है और पढ़ाई में भी आगे बढ़ रही है।
बच्चे सिर्फ नौकरी खोजने की बजाय रोजगार देने वाले बनें
प्रधानपाठक, आदर्श शासकीय नवीन प्राथमिक शाला, नवापारा(राजिम)
शिक्षक को सिर्फ पढ़ाने का काम दिया जाए

दीप्ति मिश्रा गंडेचा, मिडिल स्कूल कोमा, फिंगेश्वर ब्लॉक
आपका नया नवाचार क्या है?
मेरा नवाचार शैडो टीचर डे है। हफ्ते में एक दिन मैं बच्चों को शैडो टीचर बनाती हूं। उस दिन वे पूरे हफ्ते में सीखी गई बातें कक्षा के सामने प्रस्तुत करते हैं। मैंने इसके लिए शैडो टीचर ऑफ द डे का बैज भी बनवाया है।
बच्चों की क्या प्रतिक्रिया रहती है?
बच्चे उत्साह से भाग लेते हैं। उन्हें लगता है कि वे भी शिक्षक की भूमिका निभा सकते हैं। इससे उनकी आत्मविश्वास और प्रस्तुतीकरण क्षमता दोनों बढ़ती है।
आज के शिक्षकों पर पढ़ाने के अलावा और भी बहुत काम आ जाते हैं। इस पर आपका क्या कहना है?
बिल्कुल, यदि शिक्षक को सिर्फ पढ़ाने का काम दिया जाए तो वे और बेहतर तरीके से बच्चों को शिक्षा दे पाएंगे। यही सबसे जरूरी है।
आप अपनी फैमिली या आसपास के बच्चों के लिए किस तरह की शिक्षा चाहेंगी? सरकारी स्कूल या निजी स्कूल?
मैं चाहती हूं कि बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़े। सरकारी स्कूलों की अवधारणा बहुत अच्छी है और मैं चाहती हूं कि इन्हें और मजबूत बनाया जाए।
जब आपके बच्चे बड़े होंगे तो आप कहां पढ़ाना चाहेंगी?
मेरी इच्छा तो यही है कि वे सरकारी स्कूलों में ही पढ़े। लेकिन यह भी सच है कि आज प्रतियोगिता का दौर है, इसलिए अंतिम निर्णय बच्चों की रुचि और परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।
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