Bastar Dussehra 2025: बस्तर दशहरा की तैयारी का शुभारंभ, डेरी गड़ाई के साथ रथ का निर्माण शुरू
Bastar Dussehra 2025: कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने हल्दी खेलने की परंपरा निभाई। एक-दूसरे पर हल्दी छिड़ककर उत्सव की खुशी साझा करते हुए उन्होंने सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक उत्साह का संदेश दिया।
Bastar Dussehra 2025: ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व की तैयारियों का शुभारंभ पारंपरिक डेरी गड़ाई रस्म के साथ हुआ। इस अवसर पर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष महेश कश्यप, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक किरण देव, महापौर संजय पांडे, बस्तर कमिश्नर डोमन सिंह, कलेक्टर हरिस एस, जिला पंचायत सीईओ प्रतीक जैन सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, परंपरागत पदाधिकारी मांझी-चालकी, नाइक पाइक, मेंबर बरिन और स्थानीय समुदाय उपस्थित रहा।
दशहरा पर्व के दौरान मां दंतेश्वरी की शोभायात्रा इसी रथ पर सवार होकर सम्पन्न होगी। रथ परिक्रमा पर्व का केंद्रीय आकर्षण है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं और देश-विदेश से आए सैलानी भी इस अद्भुत परंपरा के साक्षी बनते हैं।
Bastar Dussehra 2025: साल की टहनियों को खंभों के साथ विधिविधान पूर्वक गाड़ा
रस्म के अंतर्गत बिरिंगपाल गांव से लाई गई साल की पवित्र टहनियों को सिरहासार में खंभों के साथ विधिविधानपूर्वक गाड़ा गया। मंत्रोच्चार, पारंपरिक वाद्य यंत्रों और रीति-रिवाजों के बीच संपन्न हुई इस प्रक्रिया को रथ निर्माण की औपचारिक अनुमति माना जाता है। इसी के साथ बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की परिक्रमा के लिए रथ निर्माण कार्य का आरंभ हुआ।
महिलाओं ने हल्दी खेलने की परंपरा निभाई
Bastar Dussehra 2025: कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने हल्दी खेलने की परंपरा निभाई। एक-दूसरे पर हल्दी छिड़ककर उत्सव की खुशी साझा करते हुए उन्होंने सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक उत्साह का संदेश दिया। अब रथ निर्माण की जिम्मेदारी झाड़ उमरगांव और बेड़ा उमरगांव के संवरा जाति के पारंपरिक कारीगरों को सौंपी गई है। ये कारीगर अपनी विरासत में मिली तकनीकों और औजारों से बिना आधुनिक उपकरणों के रथ तैयार करेंगे। यह न केवल उनकी शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का माध्यम भी है।
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