CG News: बारनवापारा में असम से लाए वनभैंसों ने नई पीढ़ी को दिया जन्म, अब 6 से बढ़कर 10 हुई संख्या

CG News: केंद्र सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली के द्वारा मानस टाइगर रिजर्व से बारनवापारा अभयारण्य लाने की अनुमति प्राप्त हुई थी।

Sep 24, 2025 - 12:34
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CG News: बारनवापारा में असम से लाए वनभैंसों ने नई पीढ़ी को दिया जन्म, अब 6 से बढ़कर 10 हुई संख्या

CG News: बलौदाबाजार जिले के बारनवापारा अभयारण्य से एक खुशखबर है। यह अभयारण्य राजकीय पशु वनभैंस के लिए अनुकूल साबित हो रहा है। इस अभयारण्य क्षेत्र में वन भैंसों की आबादी में वृद्धि हो रही है अब यहां वनभैंसों की संख्या 6 से बढ़कर 10 हो गई है।

वनमण्डलाधिकारी गणवीर धमशील ने बताया कि राजकीय पशु वनभैंसा की संया में वृद्धि करने के उद्देश्य से राज्य वन्यप्राणी बोर्ड 2017 की बैठक में मानस टायगर रिजर्व असम से वन भैंसे लाकर छत्तीसगढ़ में चयनित स्थल बारनवापारा में रख कर संया वृद्धि किए जाने संबंधित अनुमति प्राप्त हुई थी। इस संबंध में केंद्र सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली के द्वारा मानस टाइगर रिजर्व से बारनवापारा अभयारण्य लाने की अनुमति प्राप्त हुई थी। इसके बाद असम से वर्ष 2020 में 1 नर एवं 1 मादा वनभैंसा तथा वर्ष 2023 में 4 मादा वनभैंसों को लाया गया था।

जिसे बारनवापारा अभयारण्य के कोठारी परिक्षेत्र के अंतर्गत निर्मित 10 हेक्टेयर के बाड़े में रखा गया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 में वनभैंसा संरक्षण एवं संवर्धन केन्द्र खैरछापर में राजकीय पशु वनभैसा मादा; मानसीद्ध द्वारा एक नर बच्चा को एवं एक अन्य मादा वनभैंसा द्वारा एक मादा बच्चे को जन्म दिया गया था। वर्ष 2025 में 2 मादा एवं 1 नर बच्चा का जन्म हुआ है जिनमें से एक मादा बच्चे की आकस्मिक मृत्यु हो गई है जिसका विधिवत पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा शव परीक्षण किया गया है। वर्तमान में वनभैसों की संया 6 से बढ़कर कुल10 हो गई है जो कि बारनवापारा अभयारण्य क्षेत्र का वन भैंसों के लिए अनुकूलता का परिचायक है।

वन भैंसे घने जंगलों, घास के मैदानों और दलदली क्षेत्रों में रहते हैं। वन भैंसे सामाजिक प्राणी हैं और 10 से लेकर 100 के झुंड में रहते हैं। वन भैंसे पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे घास के मैदानों को बनाए रखने में मदद करते हैं और बीजों को फैलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वन भैंसों का सबसे बड़ा खतरा उनके आवास का विनाश है। जंगलों की कटाई और कृषि भूमि के विस्तार के कारण वन भैंसों के रहने की जगह कम होती जा रही है। वन भैंसों का शिकार उनके सींगों और मांस के लिए किया जाता है।

राजकीय पशु है वन भैंसा

वन भैंसा छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु है जो अपनी शक्ति, साहस और दृढ़ता के लिए जाना जाता है। नर वन भैंसा मादा से बड़ा होता है। इनकी ऊंचाई 1.7 मीटर तक और वजन 1200 किलोग्राम तक हो सकती है जबकि मादाओं की ऊंचाई 1.5 मीटर तक और वजन 800 किलोग्राम तक हो सकता है। वन भैंसों का रंग गहरा भूरा या काला होता है। उनके सिर पर सफेद धब्बा और सींगों के बीच एक सफेद पट्टी होती है। वन भैंसों के सींग मोटे और घुमावदार होते हैं।

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