CG News: हेमचंद विवि में टीचर्स वेलफेयर के नाम पर करोड़ों काटे, न प्रोफेसरों को फायदा न छात्रों को
CG News: हेमचंद यादव विश्वविद्यालय में टीचर वेलफेयर फंड की राशि का कोई हिसाब नहीं है। हेमचंद विश्वविद्यालय उत्तरपुस्तिका की जांच सहित तमाम परीक्षा कार्यों का भुगतान करने से पहले वेलफेयर फंड के नाम से पारिश्रमिक का तीन फीसद काट तो रहा है, लेकिन उन्हीं प्रोफेसरों की आर्थिक मुसीबत के समय उनके ही रुपए देने […]
CG News: हेमचंद यादव विश्वविद्यालय में टीचर वेलफेयर फंड की राशि का कोई हिसाब नहीं है। हेमचंद विश्वविद्यालय उत्तरपुस्तिका की जांच सहित तमाम परीक्षा कार्यों का भुगतान करने से पहले वेलफेयर फंड के नाम से पारिश्रमिक का तीन फीसद काट तो रहा है, लेकिन उन्हीं प्रोफेसरों की आर्थिक मुसीबत के समय उनके ही रुपए देने से पीछे हट रहा है।
हेमचंद विश्वविद्यालय ने कार्यपरिषद में टीचर वेलफेयर फंड की राशि से शासकीय के साथ-साथ निजी महाविद्यालयों के प्रोफेसराें की मदद का प्रस्ताव रखा, उसे पास भी कराया, लेकिन इसका लाभ प्रोफेसरों को कभी नहीं दिया। कार्यपरिषद के इस फैसले के बारे में कॉलेजों के बारे में कोई अधिसूचना भी नहीं दी गई। लिहाजा, प्रोफसरों को टीचर्स वेलफेयर फंड के बारे में पता ही नहीं चला।
2015 में शुरू हुए हेमचंद विश्वविद्यालय में अब तक किसी भी प्रोफेसर को इसका लाभ नहीं मिल सका है। करोड़ाें रुपए इस फंड में हैं, लेकिन इसके बारे में हेमचंद विवि कोई जवाब नहीं दे रहा है। इसी कार्यपरिषद में हेमचंद विश्वविद्यालय ने कुलपति निधी से गरीब और जरूरतमंद बच्चों को आर्थिक मदद देने का भी निर्णय लिया था। इसमें भी हेमचंद विश्वविद्यालय कोई पहल नहीं कर सका।
नए प्रोफेसरों को मालूम ही नहीं
विवि के लिए उत्तरपुस्तिका जांच, पेपर सेटिंग सरीखे कार्य करने वाले वरिष्ठ प्रोफेसरों को तो टीबीएफ की जानकारी है, लेकिन पिछले कुछ साल पहले पीएससी से चयनित होकर आए सहायक प्राध्यापकों को फंड के बारे में कोई मालूमात नहीं है। यही वजह है कि फंड से फायदा लेने कोई सामने नहीं आया। विवि ने भी इस संबंध में कोई भी अधिसूचना जारी नहीं की।
क्या होता है वेलफेयर फंड
इस फंड से प्रोफेसरों के लिए उन्नयन के कार्य करने होते हैं। यदि प्रोफेसरों को रुपए की आपात जरूरत पड़ जाए तो टीबीएफ फंड से राशि दी जा सकती है, लेकिन हेमचंद विवि ने स्थापना से अब तक किसी भी प्रोफेसर को इस फंड का लाभ नहीं दिया। विवि ने कभी भी इसके लिए कॉलेजों को कोई सूचना जारी ही नहीं की। जबकि विवि १० साल से संचालित हो रहा है।
कार्यपरिषद की बैठक में छात्रों को फायदा पहुंचाने वाले कई निर्णय लिए गए थे, जो सिर्फ राउंड टेबल मीटिंग तक सिमट गए। बैठक में तय किया गया कि जिस तरह सांसद और विधायक निधि हुआ करती है, ठीक वैसे ही कुलपति निधि का लाभ विद्यार्थियों को मिलेगा। कार्यपरिषद में इसके लिए योजना बनाने का निर्णय लिया गया।
इसके लिए 10 लाख रुपए का प्रावधान भी किया। इसका फायदा आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को दिलाने पर सहमति बनी। परीक्षा फॉर्म भरने से लेकर कॉलेजों की फीस चुकाने जैसे विभिन्न कार्यों में विश्वविद्यालय कमजोर विद्यार्थियों को आर्थिक मदद करने वाला था, लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा इसमें पहल ही नहीं हुई।
प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। वहां से कोई जवाब नहीं आया। कार्यपरिषद ने इसको पारित किया था, लेकिन मंजूरी शासन से ही आएगी। इस संबंध में दोबारा होने वाली ईसी में चर्चा कराएंगे।
भूपेंद्र कुलदीपकुलसचिवहेमचंद विश्वविद्यालय
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