मोबाइल की डिमांड नहीं हुई पूरी तो छात्र ने की आत्महत्या, स्कूल में दोस्तों से कहा- पापा को बता दो… छाया मातम
Suicide News: छात्र भुनेश्वर कोसरे जो कक्षा 12वीं में पढ़ाई करता था ऐसा खौफनाक कदम उठाया कि सभी लोग हैरान रह गए। वजह नए मोबाइल फोन की जिद निकली है।
CG Suicide Case: मोबाइल की जिद ने एक हंसते-खेलते परिवार को दीपावली मनाने के पहले ही गम के साए में छोड़ दिया। तत्काल मोबाइल दिलाने की मांग कर रहे पुत्र को पिता ने दो दिन बाद मोबाइल देने का आश्वासन दिया। मोबाइल के शौक और जरूरत ने छात्र के मन में ऐसा कौतुहल मचा दिया कि छात्र ने जहर खाकर अपनी जान दे दी। घटना के बाद पिता सहित पूरे परिवार को शोक की लहर है। पिता कह भी रहा कि दो दिन बाद मोबाइल दिला देता बेटा, ऐसा कदम ही क्यों उठाया?
मृतक के भाई ऋषि कुमार ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि भुनेश्वर कुमार कोसरे उसका छोटा भाई है। वह आत्मानंद स्कूल बालोद में 12वीं कक्षा का छात्र था। 23 अक्टूबर की रात करीब 10 बजे भुनेश्वर आज और अभी मोबाइल खरीदने की जिद करने लगा। पिता ने दो-चार दिन बाद मोबाइल खरीदने की बात कही। इस पर भुनेश्वर ने अपने पिताजी को फोन कर कहा कि मोबाइल नहीं खरीदोगे तो मैं भाग जाऊंगा, मर जाऊंगा, परिवार वालों को डबल खर्चे में डाल दूंगा कहा।
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दूसरे दिन 24 अक्टूबर की सुबह 9 बजे भुनेश्वर स्कूल जाने के लिए घर से निकला। कुछ देर गांव के नहर पुलिया के पास बैठा था। इसी समय उनके दोस्त वहां से गुजरे तो भुनेश्वर ने कहा कि पिताजी को फोन लगाओ मैं जहर सेवन कर लिया हूं। जानकारी होते ही परिजन मौके पर पहुंचे और उसे इलाज के लिए बालोद जिला अस्पताल ले गए। बेहतर इलाज के लिए परिजनों ने उसे डीसीएच धमतरी लेकर पहुंचे। यहां इलाज के दौरान 25 अक्टूबर की सुबह 5.30 बजे उसने दम तोड़ दिया।
पब्जी गेम खेलने से मना किया तो खा लिया जहर
इसी तरह पब्जी गेम खेलने से मना करने पर 10 अक्टूबर को 10वीं के छात्र ने जहर सेवन कर लिया था। पालकों ने बताया था कि वह मोबाइल में पब्जी गेम खेलता था। बुधवार दोपहर परिजनों ने दिनभर मोबाइल में गेम खेलने से मना किया, तो जहर सेवन कर लिया। इलाज के लिए उसे नगरी अस्पताल लाया गया। गंभीर स्थित को देखते हुए उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया। यहां इलाज के दौरान छात्र ने दम तोड़ दिया।
एक्सपर्ट व्यू: कम्यूनिकेशन है कारण
जिला अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ प्रीति चांडक ने बताया कि आज बच्चे और पालकों के बीच सबसे बड़ी समस्या कम्यूनिकेशन की है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में माता-पिता इतने व्यस्त हो गए है कि अपने बच्चों को भी समय नहीं दे पा रहे हैं। प्रत्येक माता-पिता को काम के बीच अपने बच्चे के लिए समय निकालना जरूरी है। इससे बच्चे और माता-पिता के बीच संवाद होगा और बच्चों की मनोदशा को वे जान पाएंगे। आपसी कम्यूनिकेशन नहीं होने से बच्चे आक्रामक हो जाते हैं इसलिए हम ऐसी जानकारी मिलने पर बच्चों के साथ ही पूरी फैमिली का काउंसिलिंग करते हैं। यह समाज के लिए भी चिंता का विषय है।
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