हर पल रहता था खतरों का साया! भुवनेश्वर ने किया एनकाउंटर, सुशील चौबे ने बढ़ाया पीटा एक्ट का दायरा

Achivment Story: रायपुर में शनिवार को 26 जनवरी 2025 के राष्ट्रपति वीरता और विशिष्ट सेवा पदक पुरस्कारों की घोषणा की गई।

Jan 26, 2025 - 14:10
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हर पल रहता था खतरों का साया! भुवनेश्वर ने किया एनकाउंटर, सुशील चौबे ने बढ़ाया पीटा एक्ट का दायरा

Achivment Story: छत्तीसगढ़ के रायपुर में शनिवार को 26 जनवरी 2025 के राष्ट्रपति वीरता और विशिष्ट सेवा पदक पुरस्कारों की घोषणा की गई। इसमें राज्यभर के 21 पुलिसकर्मी शामिल हैं। इसमें कुछ पीएचक्यू नया रायपुर के पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।

इन्हें 15 अगस्त को समानित किया जाएगा। हमने 3 पुलिसकर्मियों से बात की। उनका कहना था कि पुरस्कार मिलने पर जिम्मेदारी बढ़ जाती है। हमें पहले से ज्यादा बेहतर काम करना होता है। हालांकि पुरस्कार 15 अगस्त को मिलेंगे लेकिन घोषणा परपरागत तौर पर 25-26 जनवरी को कर दी जाती है। पुलिसकर्मियों ने पुरस्कार का श्रेय अपने परिवार और सीनियर अधिकारियों को दिया है। उनका कहना है कि जीवन में अनुशासन जरूरी है। इसके बिना आप आगे नहीं बढ़ सकते।

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CG News: कप्यूटराइज्ड सैलरी

शंकर नगर निवासी सुशील कुमार चौबे (आरक्षक) पीएचक्यू सीआईडी में पदस्थ हैं। उन्हें सराहनीय पुरस्कार से नवाजा जाएगा। उन्होंने बताया, मैं 1993 में भर्ती हुआ। बेसिक ट्रेनिंग राजनांदगांव से ली। कप्यूटर का नॉलेज नहीं था। तत्कालीन एसपी संजय राणा ने मुझे कप्यूटर सेल में पोस्टिंग दे दी। मैंने क्राइम एंड क्रिमिनल इन्फॉर्मेशन सिस्टम पर काम किया।

उस समय कप्यूटर युग की शुरुआत हुई थी। सैलरी मैनुअल बना करती थी। मैंने कप्यूटराइज्ड सैलरी बनाई। मुझे काफी एप्रिशिएशन मिला। मैंने ह्यूमन ट्रेकिंग पर भी काम किया। सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि पीटा एक्ट 4 जिलों में था, हमारे प्रयास से यह बढ़कर 15 जिला हो गया।

हर पल रहता था खतरों का साया

महादेव घाट निवासी भुवनेश्वर कुमार साहू टाटीबंध थाने में थाना प्रभारी हैं। उन्हें राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार से नवाजा जाएगा। वे 12 साल तक नक्सल बेल्ट पर पदस्थ रहे। इस दौरान उन्हाेंने कई एनकाउंटर किए। कई विपंस भी पकड़े। साहू ने बताया यह पुरस्कार राष्ट्रपति की ओर से आता है। 12 साल नक्सल क्षेत्र में बिताने का संस्मरण सुनाते हुए साहू ने कहा, हर पल खतरे का साया होता था। फील्ड पर निकलते वक्त सिर पर कफन बांधकर निकला करते थे लेकिन वापसी की कोई गारंटी नहीं होती थी।

रोजाना कहीं न कहीं विस्फोट की खबरें आती थी, कई बार तो ऐसा हुआ कि हम जहां से आगे बढ़े उसके कुछ मिनट बाद ही वहां ब्लास्ट हो जाता था। जब अखबारों में नक्सल वारदातों की खबरें छपा करती थीं तो घर वाले घबरा जाते थे। उनके फोन आते तो हम उनकी तसल्ली के लिए कह देते थे कि हमारी पोस्टिंग सेफ साइड है।

दायरे में बंध कर काम नहीं किया

पुलिस लाइन निवासी वली मोहमद शेख इंस्पेक्टर के पद पर पीएचक्यू में पदस्थ हैं। उन्हें राष्ट्रपति सराहनीय सेवा पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने बताया, मुझे ऑफिस कार्य में बेहतर परफॉर्मेंस के लिए पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। वली बताते हैं, ऑफिस कार्य में टाइमिंग मेंटेन करना होता है।

समय से आना तो तय रहता है लेकिन लौटने का कोई निश्चत टाइम नहीं होता। अगर हम ड्यूटी टाइम के मुताबिक ही काम करें तो एक दायरे में बंध जाते हैं। इसलिए जरूरी है कि काम को कैसे और बेहतर किया जाए।

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