शहादतों की चट्टान पर टकराया नक्सलवाद, 17 वर्षों की जंग में 207 से ज्यादा जवान शहीद, तो टॉप माओवादी नेता भी हुए ढेर

Naxal Attack: जहां एक ओर नक्सली हिंसा ने छत्तीसगढ़ को कई घाव दिए हैं, वहीं दूसरी ओर सुरक्षाबलों के साहस, बलिदान और केंद्र-राज्य सरकार की रणनीति ने नक्सलवाद की कमर तोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है।

Jun 13, 2025 - 06:16
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शहादतों की चट्टान पर टकराया नक्सलवाद, 17 वर्षों की जंग में 207 से ज्यादा जवान शहीद, तो टॉप माओवादी नेता भी हुए ढेर

Naxal Attack: छत्तीसगढ़ की धरती पर नक्सलवाद के खिलाफ छिड़ी जंग अब निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है। यह सिर्फ एक संघर्ष नहीं, बल्कि 207 से ज्यादा वीर जवानों की शहादत और उनकी खून से लिखी गई कहानी है। 2009 से लेकर 2025 तक, हर साल, हर जिले में कोई न कोई लाल स्याही से लिखा गया ऐसा अध्याय जुड़ता रहा, जिसने छत्तीसगढ़ को भारत के नक्शे पर नक्सली आतंक का सबसे बड़ा केंद्र बना दिया।

Naxal Attack: 1967 में शुरू हुआ नक्सल आंदोलन

पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गांव से 1967 में शुरू हुआ नक्सल आंदोलन, आज छत्तीसगढ़ की सबसे गंभीर आंतरिक सुरक्षा समस्याओं में से एक बन चुका है। बीते 50 वर्षों से राज्य लगातार इस लाल आतंक से जूझ रहा है। इस संघर्ष में साल 2009 से अब तक जहां 207 से ज्यादा जवानों ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर किए, वहीं सुरक्षाबलों ने कई सफल अभियानों में नक्सलियों के नेटवर्क को तोड़ा और उनके शीर्ष नेतृत्व को भी खत्म किया।

वामपंथी उग्रवाद से देश में 38 जिले प्रभावित, छत्तीसगढ़ सबसे आगे

गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक, भारत में कुल 38 जिले वामपंथी उग्रवाद की चपेट में हैं। इनमें छत्तीसगढ़ सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां 33 में से 15 जिले नक्सल गतिविधियों (Naxal Attack) से ग्रस्त हैं। इसके बाद ओडिशा के 7 और झारखंड के 5 जिले इस उग्रवाद की चपेट में हैं।

खून से रंगी जंग का इतिहास: कब-कब छलका जवानों का लहू (2009–2025)

वर्ष – स्थान – शहीद जवान

2009 – दंतेवाड़ा – 11
2010 – दंतेवाड़ा – 76
2010- नारायणपुर – 26
2014 – सुकमा – 15
2014 – दंतेवाड़ा – 6
2017 – सुकमा (बुरकापाल–चिंतागुफा) – 26
2018 – सुकमा (किस्तारम) – 9
2021 – सुकमा–बीजापुर – 22
2021 – नारायणपुर – 5
2023 – दंतेवाड़ा (अरनपुर) – 10
2024 – बीजापुर/नारायणपुर – 2
2024 – सुकमा – 2
2025 – बीजापुर – 8
11 जून 2025 – सुकमा – ASP आकाश राव गिरेपुंजे शहीद

कुल शहीद जवान (2009–2025): 207+
साथ ही मारे गए: 1 नागरिक, 1 ड्राइवर

2024–2025 में सुरक्षाबलों की बड़ी कार्रवाई

16 अप्रैल 2024 – कांकेर मुठभेड़

सुरक्षाबलों ने 29 माओवादियों को मार गिराया। इस ऑपरेशन में जवानों को मामूली चोटें आईं। यह हालिया वर्षों की सबसे सफल कार्रवाइयों में से एक मानी गई।

21 मई 2025 – अबूझमाड़ मुठभेड़

सुरक्षाबलों ने 27–28 नक्सलियों को ढेर कर दिया, जिनमें टॉप कमांडर नम्बाला केशव राव (इनाम ₹3.5 करोड़) भी शामिल था। इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों को सिर्फ 1 जवान का नुकसान हुआ।

केंद्र और राज्य सरकार का मिशन: 2026 तक नक्सलवाद मुक्त छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मार्च 2026 तक राज्य को नक्सलवाद (Naxal Attack) से मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है। इसके तहत नक्सल क्षेत्रों में सड़क, स्कूल, संचार और सुरक्षा की बुनियादी सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया जा रहा है।

जहां एक ओर नक्सली हिंसा ने छत्तीसगढ़ को कई घाव दिए हैं, वहीं दूसरी ओर सुरक्षाबलों के साहस, बलिदान और केंद्र-राज्य सरकार की रणनीति ने नक्सलवाद की कमर तोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है। आने वाले सालों में नक्सलवाद के खात्मे की उम्मीद और मजबूत हो चली है।

मांओं की पुकार, उन बच्चों के आँसू और उन पत्नियों की चुप्पी है,

यह लड़ाई अब भी जारी है, लेकिन हर शहादत ने इस संघर्ष को नई ऊर्जा दी है। ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं – ये उन मांओं की पुकार, उन बच्चों के आँसू और उन पत्नियों की चुप्पी है, जिन्होंने अपनों को खोकर देश को बचाया है। अब वक्त है कि उनके बलिदान को अंतिम मुकाम तक पहुंचाया जाए – नक्सलवाद के अंत तक।

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