रायपुर में देर-रात से बूंदाबांदी...7 जिलों में बाढ़ का खतरा:रायगढ़-जशपुर, मुंगेली समेत 12 जिले भीगेंगे, बिजली गिरेगी; कल से बस्तर में एक्टिविटी होगी तेज
छत्तीसगढ़ में दो दिन ब्रेक के बाद फिर से बारिश का दौर शुरू हो गया है। रायपुर में देर रात से सुबह तक बारिश हुई। इस बीच मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में प्रदेश के 7 जिलों में भारी बारिश के बाद बाढ़ आने का अलर्ट जारी किया है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, बलरामपुर जिले में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट है। इसके अलावा कोरिया, सरगुजा, सूरजपुर, जशपुर, मुंगेली, रायगढ़ सहित 12 जिलों में तेज बारिश और बिजली गिरने का यलो अलर्ट है। वहीं, अगले 3 घंटे में 23 जिलों में मध्यम से भारी बारिश हो सकती है। पिछले 24 घंटे की बात करें तो सूरजपुर और बलरामपुर जिलों के कुछ स्थानों पर भारी बारिश हुई है। सबसे अधिक तापमान 34.2 डिग्री सेल्सियस दुर्ग में और सबसे कम न्यूनतम तापमान 21.5 डिग्री सेल्सियस राजनांदगांव में दर्ज किया गया। अगले 3 घंटे में इन जिलों में बारिश के आसार कोंडागांव, उत्तर बस्तर कांकेर, धमतरी, बालोद, राजनांदगांव, गरियाबंद, महासमुंद, रायपुर, बलौदाबाजार, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, बिलासपुर, कोरबा, जशपुर, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, दुर्ग, बेमेतरा, कबीरधाम, मुंगेली, सरगुजा, सूरजपुर, कोरिया, बलरामपुर इन सभी जिलों में अगले 3 घंटे यानी 10 बजे तक यलो अलर्ट जारी किया गया है। इस दौरान इन जिलों के कई क्षेत्रों में माध्यम से भारी बारिश हो सकती है। इन जिलों में बाढ़ आने का खतरा सरगुजा, सूरजपुर, जशपुर, रायगढ़, कोरिया, कोरबा और बलरामपुर इन 7 जिलों में बारिश के बाद अचानक बाढ़ आने का खतरा है। मौसम विभाग ने इसका आउटलुक जारी किया है। कल से दक्षिण हिस्से में सक्रिय होगा मानसून उत्तरी छत्तीसगढ़ में मानसून की सक्रियता सबसे ज्यादा है। हालांकि इस स्थिति में 17 जुलाई से बदलाव देखने को मिलेगा। मौसम विभाग की माने तो इसके बाद मानसून प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों में भी सक्रिय हो जाएगा। अन्य जिलों में मौसम सामान्य रहने की उम्मीद है। हालांकि हल्की से मध्यम बारिश की उम्मीद सभी जिलों में बनी हुई है। सभी जिलों में औसत से ज्यादा बारिश जुलाई का पहला पखवाड़ा बारिश के लिहाज से काफी अच्छा रहा। अब तक प्रदेश में 388 मिमी बारिश हो गई है। यह औसत से 5 प्रतिशत ज्यादा है। कोंडागांव, बेमेतरा और सुकमा को छोड़कर प्रदेश के सभी जिलों में औसत से ज्यादा बारिश हो चुकी है। अब तक बलरामपुर में सबसे ज्यादा 599.7 मिलीमीटर पानी बरसा है। बारिश के बाद झरनों की सुंदरता तस्वीरों में देखिए लंबा रह सकता है मानसून मानसून के केरल पहुंचने की सामान्य तारीख 1 जून है। इस साल 8 दिन पहले यानी 24 मई को ही केरल पहुंच गया था। मानसून के लौटने की सामान्य तारीख 15 अक्टूबर है। अगर इस साल अपने नियमित समय पर ही लौटता है तो मानसून की अवधि 145 दिन रहेगी। इस बीच मानसून ब्रेक की स्थिति ना हो तो जल्दी आने का फायदा मिलता सकता है। जानिए इसलिए गिरती है बिजली दरअसल, आसमान में विपरीत एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। ये विपरीत दिशा में जाते हुए आपस में टकराते हैं। इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह धरती पर गिरती है। आकाशीय बिजली पृथ्वी पर पहुंचने के बाद ऐसे माध्यम को तलाशती है जहां से वह गुजर सके। अगर यह आकाशीय बिजली, बिजली के खंभों के संपर्क में आती है तो वह उसके लिए कंडक्टर (संचालक) का काम करता है, लेकिन उस समय कोई व्यक्ति इसकी परिधि में आ जाता है तो वह उस चार्ज के लिए सबसे बढ़िया कंडक्टर का काम करता है। जयपुर में आमेर महल के वॉच टावर पर हुए हादसे में भी कुछ ऐसा ही हुआ। आकाशीय बिजली से जुड़े कुछ तथ्य जो आपके लिए जानना जरूरी आकाशीय बिजली से जुड़े मिथ
छत्तीसगढ़ में दो दिन ब्रेक के बाद फिर से बारिश का दौर शुरू हो गया है। रायपुर में देर रात से सुबह तक बारिश हुई। इस बीच मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में प्रदेश के 7 जिलों में भारी बारिश के बाद बाढ़ आने का अलर्ट जारी किया है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, बलरामपुर जिले में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट है। इसके अलावा कोरिया, सरगुजा, सूरजपुर, जशपुर, मुंगेली, रायगढ़ सहित 12 जिलों में तेज बारिश और बिजली गिरने का यलो अलर्ट है। वहीं, अगले 3 घंटे में 23 जिलों में मध्यम से भारी बारिश हो सकती है। पिछले 24 घंटे की बात करें तो सूरजपुर और बलरामपुर जिलों के कुछ स्थानों पर भारी बारिश हुई है। सबसे अधिक तापमान 34.2 डिग्री सेल्सियस दुर्ग में और सबसे कम न्यूनतम तापमान 21.5 डिग्री सेल्सियस राजनांदगांव में दर्ज किया गया। अगले 3 घंटे में इन जिलों में बारिश के आसार कोंडागांव, उत्तर बस्तर कांकेर, धमतरी, बालोद, राजनांदगांव, गरियाबंद, महासमुंद, रायपुर, बलौदाबाजार, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, बिलासपुर, कोरबा, जशपुर, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, दुर्ग, बेमेतरा, कबीरधाम, मुंगेली, सरगुजा, सूरजपुर, कोरिया, बलरामपुर इन सभी जिलों में अगले 3 घंटे यानी 10 बजे तक यलो अलर्ट जारी किया गया है। इस दौरान इन जिलों के कई क्षेत्रों में माध्यम से भारी बारिश हो सकती है। इन जिलों में बाढ़ आने का खतरा सरगुजा, सूरजपुर, जशपुर, रायगढ़, कोरिया, कोरबा और बलरामपुर इन 7 जिलों में बारिश के बाद अचानक बाढ़ आने का खतरा है। मौसम विभाग ने इसका आउटलुक जारी किया है। कल से दक्षिण हिस्से में सक्रिय होगा मानसून उत्तरी छत्तीसगढ़ में मानसून की सक्रियता सबसे ज्यादा है। हालांकि इस स्थिति में 17 जुलाई से बदलाव देखने को मिलेगा। मौसम विभाग की माने तो इसके बाद मानसून प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों में भी सक्रिय हो जाएगा। अन्य जिलों में मौसम सामान्य रहने की उम्मीद है। हालांकि हल्की से मध्यम बारिश की उम्मीद सभी जिलों में बनी हुई है। सभी जिलों में औसत से ज्यादा बारिश जुलाई का पहला पखवाड़ा बारिश के लिहाज से काफी अच्छा रहा। अब तक प्रदेश में 388 मिमी बारिश हो गई है। यह औसत से 5 प्रतिशत ज्यादा है। कोंडागांव, बेमेतरा और सुकमा को छोड़कर प्रदेश के सभी जिलों में औसत से ज्यादा बारिश हो चुकी है। अब तक बलरामपुर में सबसे ज्यादा 599.7 मिलीमीटर पानी बरसा है। बारिश के बाद झरनों की सुंदरता तस्वीरों में देखिए लंबा रह सकता है मानसून मानसून के केरल पहुंचने की सामान्य तारीख 1 जून है। इस साल 8 दिन पहले यानी 24 मई को ही केरल पहुंच गया था। मानसून के लौटने की सामान्य तारीख 15 अक्टूबर है। अगर इस साल अपने नियमित समय पर ही लौटता है तो मानसून की अवधि 145 दिन रहेगी। इस बीच मानसून ब्रेक की स्थिति ना हो तो जल्दी आने का फायदा मिलता सकता है। जानिए इसलिए गिरती है बिजली दरअसल, आसमान में विपरीत एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। ये विपरीत दिशा में जाते हुए आपस में टकराते हैं। इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह धरती पर गिरती है। आकाशीय बिजली पृथ्वी पर पहुंचने के बाद ऐसे माध्यम को तलाशती है जहां से वह गुजर सके। अगर यह आकाशीय बिजली, बिजली के खंभों के संपर्क में आती है तो वह उसके लिए कंडक्टर (संचालक) का काम करता है, लेकिन उस समय कोई व्यक्ति इसकी परिधि में आ जाता है तो वह उस चार्ज के लिए सबसे बढ़िया कंडक्टर का काम करता है। जयपुर में आमेर महल के वॉच टावर पर हुए हादसे में भी कुछ ऐसा ही हुआ। आकाशीय बिजली से जुड़े कुछ तथ्य जो आपके लिए जानना जरूरी आकाशीय बिजली से जुड़े मिथ