CG VIDHANSABHA: विधानसभा में उठा साइबर क्राइम का मुद्दा, बीजेपी विधायकों के सवालों से घिरे गृहमंत्री
छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र में साइबर क्राइम का मुद्दा गरमाया। बीजेपी विधायकों ने राज्य में बढ़ते ऑनलाइन ठगी मामलों को लेकर गृहमंत्री से तीखे सवाल पूछे। गृहमंत्री ने कार्रवाई और साइबर सुरक्षा को लेकर जवाब दिया।
CG VIDHANSABHA : छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज प्रदेश में लगातार बढ़ते सायबर अपराध का मामला गूंजा। इस पर भाजपा विधायकों ने ही गृहमंत्री पर सवालों की झड़ी लगा दी। जवाब में गृहमंत्री ने साइबर अपराध रोकने सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों की जानकारी सदन में दी।
प्रश्नकाल में भाजपा सदस्य सुनील सोनी ने कहा कि प्रदेश में सैकड़ों करोड़ की साइबर ठगी हुई है। इसके शिकार कई लोगों ने आत्महत्या भी कर ली है। इसके बाद भी आज तक यहां एक भी साइबर विशेषज्ञ की नियुक्ति क्यों नहीं हो पाई है आज तक कितने की ठगी हुई है और कितने की रिकवरी हो पाई है। चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सदस्य राजेश मूणत ने इस विभाग में वरिष्ठ आई पी एस की नियुक्ति करने की मांग की।
जवाब में गृहमंत्री विजय शर्मा ने बताया कि दिसंबर 2024 में ही नई राजधानी में 277 करोड़ की लागत से सायबर भवन बनाया गया है जहां साइबर विशेषज्ञ की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया चल रही है। प्रदेश में साइबर कमांडो का गठन भी किया गया है । प्रदेश में 5 साइबर थाने है इसके अलावा सभी जिले में साइबर सेल संचालित है। लगातार साइबर थानों में प्रशिक्षण भी चल रहा है भविष्य में प्रदेश की साइबर टीम पूरी सक्षमता से कार्य कर ऐसे अपराध को रोकने में पूरी तरह सक्षम होगी।
साइबर क्राइम रोकने में काम करने की जरुरत
सदन की चर्चा में हिस्सा लेते हुए विधायक राजेश मूणत ने कहा- साइबर क्राइम आज सबसे बड़ा अपराध बन गया है। साइबर क्राइम रोकने IG स्तर के अधिकारी की नियुक्ति होनी चाहिए। 107 करोड़ की ठगी हुई, विभाग तीन करोड़ ही वापस दे पाया। वहीं गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा- वापसी की प्रकिया कोर्ट के जरिए होती है। कोर्ट के आदेश पर पीड़ितों को राशि लौटाई जा रही है।
जब चंद्राकर ने कहा..एक ही जवाब दोहराया जा रहा
विधायक अजय चंद्राकर ने कहा- साइबर कमांडो के लिए कितने को प्रशिक्षण दिया गया। जिस पर गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा-साइबर कमांडो की ट्रेनिंग चल रही है। वहीं इसी बीच फिर अजय चंद्राकार ने कहा- ऐसा जवाब पिछले सत्र में भी दिया था अब तक साइबर कमांडो तैयार नहीं किए गए हैं। इसी से विभाग की गंभीरता समझ में आती है।
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