स्टेट ऑफ आर्ट अस्पताल बनाने की योजना ठप, 150 करोड़ के प्रस्ताव पर शासन ने नहीं दी मंजूरी… मशीनें हो चुकीं कंडम

Medical College: पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज व आंबेडकर अस्पताल को प्रदेश में स्टेट ऑफ आर्ट बनाना था। इसके लिए 150 करोड़ की एडवांस मशीनें लगाने की योजना थीं।

Aug 21, 2025 - 12:42
 0  3
स्टेट ऑफ आर्ट अस्पताल बनाने की योजना ठप, 150 करोड़ के प्रस्ताव पर शासन ने नहीं दी मंजूरी… मशीनें हो चुकीं कंडम

Medical College: पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज व आंबेडकर अस्पताल को प्रदेश में स्टेट ऑफ आर्ट बनाना था। इसके लिए 150 करोड़ की एडवांस मशीनें लगाने की योजना थीं। तीन साल पहले शासन के कहने के बाद ही चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने यह प्रोजेक्ट बनाकर भेजा था। हालांकि प्रस्ताव मंगाने के बाद भी शासन ने इसके लिए फूटी कौड़ी नहीं दी। इससे प्रोजेक्ट की बात आई-गई हो गई है।

नेहरू मेडिकल कॉलेज व इससे संबद्ध आंबेडकर अस्पताल प्रदेश का सबसे पुराना व बड़ा कॉलेज व अस्पताल है। स्टेट ऑफ आर्ट संबंधी फाइल संचालनालय के अधिकारियों ने सीधे स्वास्थ्य मंत्री को दिया था। अस्पताल व कॉलेजों की मशीनें अब हांफने लगी हैं।

सीटी स्कैन, डीएसए व एमआरआई समेत 80 करोड़ की मशीनें कंडम या एक्सपायर हो गईं

लंबे समय से मरीजों की जांच के लिए जरूरी मशीनें नहीं खरीदी गई हैं। यही कारण है कि सीटी स्कैन, एमआरआई व डीएसए समेत 80 करोड़ की मशीनें कंडम या एक्सपायर हो गई हैं। स्टेट ऑफ आर्ट वाले प्रोजेक्ट में रेडियोलॉजी, कैंसर, पैथोलॉजी, बायो केमेस्ट्री व माइक्रो बायोलॉजी विभाग के लिए एडवांस मशीनें खरीदी जानी थीं। ये ऐसी मशीनें थीं, जो मरीजों के लिए जरूरी है।

ये मशीनें आ जातीं तो किसी भी मरीज को बिना जांच कराए अस्पताल से लौटना नहीं पड़ता। रेडियोलॉजी के लिए एमआरआई, सीटी स्कैन, डीएसए, कलर डॉप्लर व सोनोग्राफी मशीनें शामिल थीं। इसी तरह कैंसर विभाग के लिए एडवांस सिंकाई मशीन, पैथोलॉजी व अन्य लैब के लिए एडवांस मशीनों की जरूरत है। आने वाले कुछ दिनों में नई मशीनें नहीं आई तो जांच ठप होने की संभावना है।

मशीनों की ये स्थिति

  • सीटी इंजेक्टर मशीन खराब होने से मरीजों की सीटी एंजियोग्राफी नहीं हो पा रही है। इसमें 15 लाख रुपए खर्च। मरीज बाहर 8500 रुपए में जांच करवा रहे।
  • सीटी स्कैन मशीन भी आए दिन खराब हो रही है। यही स्थिति एमआरआई मशीन की है। ये मशीनों 13 साल पुरानी हो गई हैं। यानी इनकी लाइफ खत्म हो गई है।
  • डीएसए मशीन 2009 में 3.95 करोड़ में जर्मनी से मंगाई गई थी। इसमें ब्रेन की एंजियोग्राफी होती है। कंपनी ने कंडम घोषित कर दिया है। कभी भी इलाज बंद हो सकता है।
  • कैंसर विभाग की सीटी सिम्युलेटर मशीन तीन साल पहले एक्सपायर हो चुकी है। जांच का पूरा भार अब सीटी स्कैन मशीन पर आ गई है। इसलिए आए दिन खराब हो रही है।
  • बायो केमेस्ट्री, पैथोलॉजी व माइक्रो बायोलॉजी विभाग में लगी मशीनें काफी पुरानी हैं। पैथोलॉजी लैब की एनालाइजर मशीन खराब है, इसलिए मैनुअल रिपोर्ट देते रहे हैं।
  • डिजिटल रेडियोग्राफी एक्सरे मशीन दो साल पहले कंडम हो गई है। अब विभाग में एक भी डीआर एक्सरे मशीन नहीं है। इमेज अच्छा आने से इसमें मरीजों की जांच जरूरी।
  • 22 करोड़ की पेट सीटी व गामा मशीन इंस्टालेशन के साढ़े 7 साल बाद भी शुरू नहीं। मरीजों को बाहर 22 से 25 हजार में जांच करानी पड़ रही है। शासन मशीन शुरू करने में फेल है।

प्रस्ताव को मंजूरी की जानकारी नहीं

शासन के प्रस्ताव के बाद स्टेट ऑफ आर्ट बनाने के लिए 150 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट बनाकर भेजा गया था। प्रस्ताव को मंजूरी की जानकारी नहीं है। टर्सरी सेंटर होने के कारण यहां एडवांस नई मशीनों की जरूरत है, ताकि मरीजों की सभी जांच हो सके। – डॉ. विष्णु दत्त, तत्कालीन व रिटायर्ड डीएमई

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

PoliceDost Police and Public Relations