प्रसंगवश: खेलों से ‘खेल’ न हो, प्रोत्साहन मिले तो मैदान में चमकेगा छत्तीसगढ़
खेलों और खिलाड़ियों के लिए प्रदेश में सकारात्मक माहौल बनाने की जरूरत
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिवस पर 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में भी इस मौके पर विभिन्न आयोजन होते हैं। कुछ खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाता है तो कुछ प्रशिक्षकों का सम्मान किया जाता है। किंतु बड़े लंबे समय से ऐसा देखा जा रहा है कि विभिन्न कारणों से प्रदेश में खेल का माहौल और खिलाड़ियों की संख्या घटती जा रही है। ये मानना है प्रदेश के खेल विशेषज्ञों, कोच, वरिष्ठ खिलाड़ियों और खेल संघों के पदाधिकारियों का।
छत्तीसगढ़ इस वर्ष राज्य गठन की रजत जयंती मनाने जा रहा है। छत्तीसगढ़ के साथ ही बनाए गए दो और राज्यों उत्तराखंड व झारखंड को अगर हम देखें तो वहां खेल व खिलाड़ियों के लिए काफी काम हुआ है। उन दोनों राज्यों से विभिन्न खेलों के ओलंपियन निकले हैं। तो सवाल यह उठता है कि छत्तीसगढ़ में ऐसी क्या कमी रह जा रही है जो हम इन 25 वर्षों में एक भी ओलंपियन देश को नहीं दे सके। इसके जवाब में यह सामने आ रहा है कि छत्तीसगढ़ में खेलों की अधोसंरचना की कोई कमी नहीं है। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर की विभिन्न खेल अकादमियां भी खुल रही हैं। लेकिन खेल विभाग के पास खेलों को लेकर कोई समुचित योजना ही नहीं है। साथ ही एक तथ्य और जो प्रमुखता से सामने आ रहा है, वह है कि खिलाड़ियों व प्रशिक्षकों की आर्थिक सुरक्षा, प्रोत्साहन व नौकरी नहीं होने से उनमें निराशा का माहौल है। उनकी ऐसी स्थिति को देखते हुए नई पौध आगे नहीं आ पा रही है, नए खिलाड़ियों को यहां भविष्य सुनहरा नजर नहीं आता जैसे दूसरे राज्यों में है। हमारे कुछ उत्कृष्ट खिलाड़ी दूसरे राज्यों में खेल का भविष्य देखते हुए पलायन भी कर चुके हैं।
राष्ट्रीय खेल दिवस पर प्रदेश सरकार संकल्प ले कि वह खिलाड़ियों-प्रशिक्षकों को प्रोत्साहित करेगी। साथ ही इनके लिए ठोस नीति बनाकर नौकरी देकर उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगी। सरकार के इस महती कदम से ही छत्तीसगढ़ खेल मैदान में दमखम दिखाकर चमक सकेगा। –अनुपम राजीव राजवैद्य anupam.rajiv@epatrika.com
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