प्रसंगवश: युवतियों और महिलाओं पर अपराध की भी बन गया है ‘राजधानी’

बड़े जिलों में युवतियों और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, रायपुर में सबसे ज्यादा

Oct 10, 2025 - 08:21
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प्रसंगवश: युवतियों और महिलाओं पर अपराध की भी बन गया है ‘राजधानी’

छत्तीसगढ़ में युवतियों और महिलाओं पर हुए अपराधों को लेकर एनसीआरबी यानी नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो ने जो आंकड़े जारी किए हैं, वो आंकड़े डराते हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों में जो तथ्य सामने आए हैं, उसके मुताबिक बड़े और शहरी माने जाने वाले जिलों में युवतियों और महिलाओं पर ज्यादा अत्याचार हुए हैं। इसमें भी एक तथ्य यह सामने आया है कि जहां शहर से लेकर प्रदेश तक की सरकार बैठी है और जहां से कानून-व्यवस्था तथा शासन-प्रशासन चलता है, जहां मंत्री-संत्री से लेकर आला अफसर रहते हैं, वही रायपुर जिला महिलाओं पर अपराध के मामले में भी ‘राजधानी’ है।

एनसीआरबी के अनुसार छत्तीसगढ़ में वर्ष 2023 में महिलाओं पर अपराध के कुल 8035 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें सबसे ज्यादा प्रदेश की राजधानी वाले रायपुर जिले में 1004 मामले दर्ज हुए थे। दूसरे नंबर पर प्रदेश की न्यायधानी वाले जिले बिलासपुर में 748 महिला अपराध दर्ज हुए थे। इनके बाद तीसरे नंबर पर दुर्ग जिला रहा, जहां 621 मामले सामने आए हैं। चौथे नंबर पर जांजगीर-चांपा जिला है, जहां महिलाओं-युवतियों पर हुए अपराधों की संख्या 464 रही। हालांकि महिलाओं की सुरक्षा-सहायता को लेकर प्रदेश में विभिन्न योजनाएं चल रही हैं। जैसे सखी वन स्टॉप सेंटर जरूरतमंद, संकटग्रस्त और पीडि़त महिलाओं को एक ही छत के नीचे तत्काल सहायता और परामर्श उपलब्ध कराता है। वहीं, नवाबिहान योजना के द्वारा घरेलू हिंसा पीडि़त महिलाओं को विधिक सलाह, चिकित्सा, परिवहन और आश्रय जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा टोल फ्री महिला हेल्पलाइन नंबर और पैनिक बटन की सुविधा आदि भी हैं, जो महिलाओं को सहायता-सुरक्षा प्रदान करने के लिए हैं। ये सिर्फ योजनाओं तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि पूरी ईमानदारी से क्रियान्वित होना चाहिए।महिलाओं पर अपराध के इन आंकड़ों को लेकर सियासत भी गरमा सकती है। दरअसल, एनसीआरबी के ये आंकड़े वर्ष 2023 के हैं, उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। लेकिन, महिलाओं पर हो रहे अपराध को लेकर राजनीति करने की बजाय उस पर गंभीरता से चिंतन-मनन करने की जरूरत है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए व्यापक उपाय करने की भी जरूरत है। –अनुपम राजीव राजवैद्य anupam.rajiv@in.patrika.com

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