महिला कैसे करें अपनी रक्षा? पत्रिका अभियान से जुड़कर महिलाओं ने शेयर की बातें, बोलीं – गलत का डटकर करें मुकाबला नहीं तो…
Patrika Mahila Suraksha: महिला सुरक्षा तभी संभव है जब गलत होने पर वह खुद चुप्पी तोड़े और उसका डटकर मुकाबला करे। खुद का बचाना सीखे, परिवार को बताना सीखे।

Patrika Mahila Suraksha: महिला सुरक्षा तभी संभव है जब गलत होने पर वह खुद चुप्पी तोड़े और उसका डटकर मुकाबला करे। खुद का बचाना सीखे, परिवार को बताना सीखे। यानी अगर कोई आपको तंग करता है पहली बार ही में उसका मुंहतोड़ जवाब दो ताकि उसकी हिम्मद दोबारा न हो पाए। अगर इससे भी बात न बने तो माता-पिता और भाई को बताएं। इसके बाद भी बात न बने तो पुलिस, प्रशासन और सरकार को बताने से पीछे नहीं हटे।
महिलाओं के सम्मान का संस्कार बच्चों को देना माता पिता की जिम्मेदारी है। महिला अपराधों पर कानून सख्त और इन मामलों का निराकरण होना चाहिए, ताकि अपराधी का बचना नामुमकिन हो। पत्रिका के अभियान से जुड़कर शहर की महिलाओं ने अपने अनुभव में ये बातें शेयर की। महिलाओं का कहना है कि महिलाओं के लिए शहर में दिन और रात दोनों समय सुरक्षा होनी चाहिए। सार्वजनिक स्थानों और परिवहन में भी सुविधाएं होनी चाहिए।
आजकल मोबाइल बच्चों | का बचपन छीन रहा है। पैरेंट्स भी बच्चों को देकर इसे बढ़ावा दे रहे हैं। अभिभावकों को भी चाहिए कि वह अपने बच्चों की हर गतिविधियों पर नजर रखें और उनकी बातों को गंभीरता से लें। लड़के और लड़कियों के घर आने का समय तय होना चाहिए। घर का माहौल ऐसा हो कि कोई प्रॉब्लम आने पर बच्चा उसे अभिभावकों से बेहिचक शेयर कर सके। – प्रतिभा पांडे, राष्ट्रीय प्रभारी, राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ
कानून महिलाओं की सुरक्षा के लिए होना चाहिए ना कि उनके लाभ के लिए। क्योंकि निष्पक्ष न्याय तभी हो सकता है जब पीड़ित महिला को सुरक्षित कर उसकी परेशानी को समझा जाए। ऐसे कानून महिलाओं के लिए है, जिससे पीड़िता की बहुत सी बातें कानून की दृष्टि से अनसुनी कर दी जाती हैं। इसलिए महिलाओं के लिए सर्वप्रथम निष्पक्ष न्याय और महिलाओं की सुरक्षा जरूरी है। – अर्चना तिवारी, डिस्ट्रिक्ट चेयरपर्सन, लायंस क्लब वसुंधरा
समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भूमिका समझनी होगी। महिलाओं के प्रति सम्मान और समानता का दृष्टिकोण अपनाना होगा। सभी का सहयोग जरूरी है। – सुधा परिहार, रिटायर्ड लेखापाल
महिलाओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग लेनी चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर वे अपनी रक्षा खुद कर इमरजेंसी नंबर पास रखें। सकें। – अकांक्षा परिहार आईटी कोआर्डिनेटर
स्त्री में जो सेवा भावना होती है, वह शायद किसी में नहीं। इसलिए अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए हमारा प्रथम दायित्व बन जाता है सेवा भावना को प्रबल बनाए रखना। इसकी शुरुआत हमें अपने घर से करना चाहिए। बच्चों में ऐसे संस्कार दें कि वह कहीं भी रहे जहां भी खुद या दूसरे के साथ अन्याय होता देखा तो उसका विरोध करें। गलत का डटकर मुकाबला करें। – रश्मि लता मिश्रा, साहित्यकार
महिलाओं को हिंसा से बचाने के लिए उचित सुरक्षा उपाय होने चाहिए। प्रत्येक शहर या गांव में 8 से 10 लोगों कीनारी सुरक्षा टीमहो। महिलाओं की सुरक्षा के लिए ऐप बने। – शीतल लाठ, समाज सेविका
महिला सुरक्षा सुरक्षा के के लिए समाज, सरकार और कानून यानी सभी का योगदान आवश्यक है। महिलाओं को खुद मानसिक रूप से मजबूत बनने की आवश्यकता है। – अरुणिमामिश्रा, संस्थापिका सचिव आश्रयनिष्ठा वेलफेयर सोसायटी
महिलाओं की सुरक्षा के साथ उनका सम्मान भी जरूरी है। घरेलू महिला हो या कामकाजी, उसे कहीं ना कहीं उन्हें अपमानित होना ही पड़ता है। इसके लिए बच्चों को महिलाओं के प्रति सम्मान की नैतिक शिक्षा की जानकारी देना चाहिए और इसकी शुरुआत घर से करनी चाहिए। महिलाओं को परिवार में भी अपमानित होना पड़ता है। – मीनू दुबे, संभाग प्रभारी, राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ
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