घोर लापरवाही! DKS अस्पताल में नर्स ने ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को लगाया एक्सपायरी इंजेक्शन, कहा- 2 दिन ही तो हुए हैं… हंगामा
Raipur News: छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डीकेएस अस्पताल में एक गंभीर लापरवाही सामने आई है। यहां के न्यूरोलॉजी विभाग में ब्रेन स्ट्रोक के एक मरीज को एक्सपायरी इंजेक्शन लगाया गया।

CG News: रायपुर @ पीलूराम साहू। डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ब्रेन स्ट्रोक की महिला मरीज को एक्सपायर्ड इंजेक्शन लगा दिया गया। परिजनों के विरोध पर स्टाफ का ये जवाब कि इंजेक्शन एक्सपायर हुए दो दिन ही तो हुए हैं, कुछ नहीं होता। इसके बाद मरीज के बाएं हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। परिजनों का आरोप है कि इंजेक्शन लगाने के बाद भी काम नहीं किया। इसलिए मरीज ठीक होने के बजाय लकवा का शिकार हो गई हैं।
डूंडा की रहने वाली 56 वर्षीय मान बाई को ब्रेन स्ट्रोक होने पर परिजनों ने उन्हें आंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया। आंबेडकर में थक्का हटाने वाले इंजेक्शन टेनेक्टेज 20 मिग्रा नहीं होने का हवाला देकर मरीज को 2 फरवरी को डीकेएस रेफर किया गया। यहां पहले ओपीडी में फिर न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती किया गया। ब्रेन स्ट्रोक को देखते हुए न्यूरोलॉजी विभाग के नर्सिंग स्टाफ ने स्टोर से टेनेक्टेज इंजेक्शन मंगाया। चूंकि इस इंजेक्शन का एक डोज 40 से 50 हजार रुपए का होता है इसलिए प्राय: इसे वार्ड में नहीं रखते।
स्टाफ का कहना है कि जरूरत पड़ने पर यह इंजेक्शन तत्काल मंगाकर मरीजों को लगाया जाता है। अगर एक्सपायर इंजेक्शन वार्ड में रखा है तो इस पर सवाल उठ रहा है। बड़ा सवाल ये है कि डीकेएस में बल्क में ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन हेमरेज के केस आते हैं। ऐसे में भी 40 से 50 हजार रुपए का एक डोज वाला इंजेक्शन एक्सपायर हो, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? आखिर एक्सपायर इंजेक्शन को वार्ड में रखकर मरीज को क्यों लगाया गया?
एक ही पैकेट में तीन तरह की पैकिंग, कंफ्यूजन इसलिए
स्टोर से लाए गए इंजेक्शन के एक पैकेट में तीन चीजों की पैकिंग थी। कंफ्यूजन यहीं पर होने की आशंका है। इंजेक्शन का बैच नंबर 112302एन02 था। यह फरवरी 2023 में निर्माण हुआ है और जनवरी 2025 में एक्सपायर हुआ। इसी पैक में डिस्टिल वॉटर भी था और बैच नंबर 232209 डब्ल्यू 14 है। यह दिसंबर 2022 में पैक हुआ है और नवंबर 2025 में एक्सपायर होगा।
यही नहीं इसी पैक में सीरिंज का एक्सपायरी डेट अगस्त 2027 लिखा है और सितंबर 2025 में बना है। इसका बैच नंबर 2209615 है। परिजनों के अनुसार स्टाफ काे कंफ्यूजन यहीं पर हुआ। वे बाद में गलती छिपाने के लिए इंजेक्शन के बजाय डिस्टिल वॉटर को एक्सपायर बताने लगे।
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मरीज ठीक नहीं हुई, अब कह रहे रोबोटिक फिजियोथैरेपी कराओ
मरीज को 2 फरवरी को भर्ती किया गया और 7 फरवरी को डिस्चार्ज किया गया। मरीज के परिजनों के अनुसार जब मरीज को लाया गया तो स्थिति ज्यादा खराब नहीं थी। उन्होंने आराेप लगाया कि एक्सपायर इंजेक्शन लगाने से शरीर का बायां हिस्सा सुन्न हो गया है। अब न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. अभिजीत कोहट मरीज को ठीक करने के लिए रोबोटिक फिजियोथैरेपी कराने के लिए कह रहे हैं। यह काफी महंगी है और रायपुर में केवल एक जगह ऐसी फिजियोथैरेपी की जाती है। परिजनों का कहना है कि वे इतने सक्षम नहीं है कि नियमित रूप से रोबोटिक फिजियोथैरेपी करवा सकें।
न्यूरोलॉजी की नर्सिंग स्टाफ ने जानकारी दी है कि मरीज को एक्सपायर इंजेक्शन नहीं लगाया गया है। एक्सपायरी इंजेक्शन का पैकेट वार्ड में टीचिंग के उद्देश्य से रखा गया था। हो सकता है कि मरीज के परिजनों को एक्सपायरी इंजेक्शन लगाने जैसी बात लगी हो। – डॉ. क्षिप्रा शर्मा, अधीक्षक डीकेएस अस्पताल
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