President Draupadi Murmu: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु विधानसभा में एक घंटे 20 मिनट तक रहीं, परिसर में कदम्ब का पौधा भी रोपा
President Draupadi Murmu: राष्ट्रपति ने महिला विधायकों से कहा, वे राज्य की अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने में अग्रणी भूमिका निभाएं। उन्होंने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ की भावना को धरातल पर उतारने की अपील की।
President Draupadi Murmu: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सोमवार को विधानसभा के रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में सदन में विधायकों को संबोधित किए। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ मातृशक्ति का साक्षात प्रतीक है। राज्य की सांस्कृतिक गरिमा को मैं नमन करती हूं। उन्होंने छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद मिनी माता को याद करते हुए उनके योगदान को भी नमन किया। साथ उन्होंने इस बात की सराहना की कि आज विधानसभा में 19 महिला विधायक हैं और राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक रही है।
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राष्ट्रपति ने महिला विधायकों से कहा, वे राज्य की अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने में अग्रणी भूमिका निभाएं। उन्होंने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ की भावना को धरातल पर उतारने की अपील की। राष्ट्रपति ने अपने एक भाषण में छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच आत्मीय संबंधों के बारे में भी चर्चा की। विधायकों को राज्यपाल रमेन डेका, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और नेताप्रतिपक्ष चरण दास महंत ने भी संबोधित किया। सदन में मुख्यमंत्री साय और नेताप्रतिपक्ष ने राष्ट्रपति का शाल श्रीफल और स्मृत चिन्ह देकर सम्मानित किया। विधायकों को संबोधित करने से पहले राष्ट्रपति ने विधानसभा परिसर में कदम के पौधे रोपे।
ये रहीं राष्ट्रपति के भाषण की प्रमुख बातें
- छत्तीसगढ़ की पहचान बन चुकी है छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया।
- छत्तीसगढ़ की लोकतांत्रिक यात्रा, जन-आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति का एक प्रेरणास्पद उदाहरण।
- विधानसभा संस्कृति की संवाहक और नीति निर्धारण की दिशा देने वाला केंद्र।
- छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा अपनाई गई अनुशासित और मर्यादित परंपराओं की सराहनीय। -विशेष रूप से ‘स्वयमेव निलंबन’ जैसे नियम सराहनीय।
-25 वर्षों में छत्तीसगढ़ विधानसभा में कभी भी मार्शल का उपयोग नहीं होना ऐतिहासिक। - छत्तीसगढ़ में विकास की असीम संभावनाएं विद्यमान। राज्य में खनिज, औद्योगिक और कृषि क्षेत्र में विकास की व्यापक संभावना।
- यहां के पारंपरिक लोक शिल्प की देश-विदेश में सराहना होती है।
- छत्तीसगढ़ को महानदी, हसदेव, इंद्रावती और शिवनाथ जैसी नदियों का आशीर्वाद प्राप्त है।
- छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद (नक्सलवाद ) से प्रभावित लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य अंतिम और निर्णायक दौर में पहुंच गया है।
- गुरु घासीदास जी के संदेश ‘मनखे-मनखे एक समान’ को उद्धृत करते हुए राष्ट्रपति ने सामाजिक समानता और समरसता के आदर्श छत्तीसगढ़ के निर्माण की बात कही।
छत्तीसगढ़ से मेरा विशेष संबंध रहा
राष्ट्रपति मुर्मु ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों की भी बात की। उन्होंने कहा, हम रायपुर को ओडिशा का हिस्सा मानते हैं। भगवान जगन्नाथ केवल ओडिशा के नहीं, बल्कि सभी के भगवान हैं। छत्तीसगढ़ से मेरा विशेष संबंध रहा है। द्रौपदी मुर्मु ने अपने संबोधन के आखिर में कहा, वह चरणदास महंत की बात से सहमत हैं कि संभलपुर को जैसे छत्तीसगढ़ का हिस्सा समझते हैं वैसे ही हम रायपुर को ओडिशा का हिस्सा मानते हैं। दिल की कोई दीवार नहीं है, दिल से हम सब एक जैसे हैं। छत्तीसगढ़ का चावल जगन्नाथ में चढ़ाया जाता है जिसे पूरे विश्व के लोग खाते हैं। छत्तीसगढ़ के लोग बहुत अच्छे हैं इसलिए कहा जाता है कि छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया।
लोकतांत्रिक परंपराओं की मिसाल है विधानसभा: सीएम साय
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कहा, यह हम सभी का सौभाग्य है कि जब छत्तीसगढ़ विधानसभा अपने गौरवशाली 25 वर्षों का उत्सव मना रही है, तब देश की प्रथम नागरिक हमारे बीच उपस्थित हैं। उन्होंने कहा, वर्ष 2000 में भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बने छत्तीसगढ़ का रजत वर्ष संयोग से उनके जन्मशताब्दी वर्ष में पड़ रहा है। जिसे हम अटल निर्माण वर्ष के रूप में मना रहे हैं। मुख्यमंत्री साय ने कहा, हमारी विधानसभा की 25 वर्षों की यात्रा लोकतंत्र की सुदृढ़ परंपराओं की प्रतीक है।
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