पुरातात्विक इतिहास लिखने को तैयार रायपुर, खारुन नदी किनारे मिले कुषाण काल के 60 तांबे के सिक्के और प्राचीन बर्तन

Kharun River: रायपुर के महादेव घाट पर पुरातत्व विभाग को सर्वे के दौरान कुषाण काल के 60 तांबे के सिक्के और प्राचीन मिट्टी के बर्तन मिले हैं।

Aug 17, 2025 - 18:09
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पुरातात्विक इतिहास लिखने को तैयार रायपुर, खारुन नदी किनारे मिले कुषाण काल के 60 तांबे के सिक्के और प्राचीन बर्तन

Kharun River: रायपुर के महादेव घाट के पास पुरातत्व विभाग को सर्वे के दौरान बड़ा ऐतिहासिक खजाना मिला है। यहां कुषाण काल के तांबे के 60 सिक्के और प्राचीन मिट्टी के बर्तन बरामद हुए हैं। सिक्कों पर हाथी और राजा की आकृतियां अंकित हैं, जिन्हें प्रथम से तृतीय शताब्दी का माना जा रहा है।

रायपुर अब पुरातत्व के क्षेत्र में भी अपनी अलग पहचान बनाने जा रहा है। महादेव घाट के पास किए गए सर्वेक्षण में कुषाण काल (प्रथम से तृतीय शताब्दी) के तांबे के 60 सिक्के और प्राचीन मिट्टी के बर्तन मिले हैं। पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय के उप संचालक पी.सी. पारख ने बताया कि विभाग इन दिनों छत्तीसगढ़ की नदियों के किनारे नए पुरातात्विक स्थलों की खोज कर रहा है।

महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अवशेष

इसी कड़ी में खारुन नदी किनारे रायपुरा विसर्जन कुंड के आगे एक निजी भूमि पर खुदाई के दौरान सिक्के मिले। इन सिक्कों में एक ओर हाथी और दूसरी ओर राजा की छवि अंकित है, जो इतिहास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। हालांकि भूमि निजी स्वामित्व की होने के कारण वहां विधिवत खुदाई संभव नहीं हो पाई है। पुरातत्व विभाग ने कलेक्टर को इस स्थल पर खुदाई की अनुमति हेतु पत्र लिखा है।

जानकारी के मुताबिक, उक्त स्थान पर नया प्रोजेक्ट प्रस्तावित था, जिसे फिलहाल रोक दिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यहां व्यवस्थित खुदाई की जाती है, तो कई और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अवशेष सामने आ सकते हैं।

विवेक आचार्य, संचालक संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग: नदियों के आसपास पुरातात्विक स्थल खोजने सर्वे किया गया। उस दौरान पुराने काल के सिक्के समेत अन्य चीजें मिली हैं। प्राइवेट जगह होने के कारण वहां खुदाई की अनुमति के लिए कलेक्टर को पत्र लिखा गया है।

डॉ. गौरव सिंह, कलेक्टर, रायपुर: संस्कृति और पुरातत्व विभाग की ओर से पत्र मिला है, उस जमीन में खुदाई करने की अनुमति मांगी गई है। वहां पर चलने वाले प्रोजेक्ट पर वर्तमान में रोक लगाई गई है।

Kharun River

रायपुरा में ही बसा था पुराना रायपुर

इतिहासकार और पुरातत्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में रायपुरा क्षेत्र में ही असली रायपुर शहर बसा हुआ था। हालांकि समय के साथ इसके दायरे बढ़ते चले गए। कुछ इतिहास भी मिट गए, लेकिन वर्तमान में चल रहे सर्वे से छत्तीसगढ़ के इतिहास को ऐतिहासिक पहचान मिलेगी। अब तो रायपुर में मिले पहली शताब्दी के सिक्के भी प्रमाण है कि इस जगह ही रायपुर शहर बसा था और यह पुरातात्विक स्थल है।

मिली चीजों का सर्वेक्षण कर होगी खुदाई

पुरातत्व विभाग ने छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने और नई पहचान दिलाने के लिए वर्ष 2035 तक का विजन प्लान तैयार किया है। इसके तहत प्रदेश की प्रमुख नदियों—खारुन, शिवनाथ, जोंक, इंद्रावती और रेणुका समेत कई नदियों के किनारों का सर्वेक्षण किया जा चुका है।

सर्वे के दौरान मिली वस्तुओं का वैज्ञानिक अध्ययन कर आगे खुदाई की जाएगी। विभाग का उद्देश्य है कि छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर पुरातात्विक पहचान दिलाई जाए और आने वाली पीढ़ियों को प्रदेश के गौरवशाली इतिहास से अवगत कराया जा सके।

इसके साथ ही ऐतिहासिक खोजों का विस्तृत डॉक्यूमेंटेशन किया जाएगा और शोध कार्यों को बढ़ावा दिया जाएगा। विभाग को उम्मीद है कि इन प्रयासों से छत्तीसगढ़ की प्राचीन धरोहर को देशभर में नई पहचान मिलेगी।

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