डिप्टी-CM घर के बाहर फिनाइल पीने वाली महिला अब ठीक:अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर मिलने साथियों के साथ पहुंची थी निवास, पुलिस के हटाने पर पिया था फिनाइल; कल होगी डिस्चार्ज
अनुकंपा नियुक्ति न मिलने पर डिप्टी सीएम विजय शर्मा के घर के बाहर फिनाइल पीने वाले प्रदर्शनकारी अश्वनी सोनवानी की हालत में अब सुधार है। अश्वनी के साथ अस्पताल में मौजूद उनकी साथी राजेश्वरी दुबे ने इस बात की पुष्टि की है। राजेश्वरी दुबे का कहना है, कि घटना के बाद सभी राजनेता केवल मीडिया में बयानबाजी कर रहे है, उनसे मिलने कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से अब तक कोई भी नहीं आया है। राजेश्वरी दुबे ने भास्कर से चर्चा के दौरान कहा कि फिनाइल पीने की वजह से अश्वनी के मुंह में छाले पड़ गए हैं। अश्वनी को घटना के बाद डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल (मेकाहारा) में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें ऑब्जर्वेशन में रखा था। 24 घंटे के बाद उनकी हालत में अब सुधार हो रहा है। शुक्रवार को जब भर्ती कराया गया था, तब डॉक्टर ने शनिवार 23 मई को डिस्चार्ज करने के लिए कहा था। शनिवार शाम चार बजे डॉक्टरों से डिस्चार्ज करने के लिए पूछा तो उन्होंने रविवार 24 मई को डिस्चार्ज करने की बात कही है। प्रदर्शनकारी अड़े हमें नौकरी चाहिए डिप्टी सीएम विजय शर्मा के घर के बाहर प्रदर्शनकारियों द्वारा फिनाइल पीने की घटना के बाद पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को माना स्थित धरनास्थल भेज दिया है। प्रदर्शनकारी धरनास्थल में अभी भी आंदोलन कर रहे हैं। अश्वनी सोनवानी के साथ अस्पताल में मौजूद उनकी साथी राजेश्वरी का कहना है कि हमारी एक सूत्रीय मांग है, नौकरी दी जाए। जब तक हमें नौकरी नहीं दी जाएगी, हम आंदोलन करते रहेंगे। आंदोलनकारियों के अनुसार वे अफसरों वाली नौकरी नहीं मांग रहे हैं। आंदोलनकारियों का कहना है कि उनकी योग्यता अनुसार नौकरी दी जाए, बस यही मांग है। चुनाव में वादा करके भूल गई सरकार प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि भाजपा सरकार ने वादा करके भी अब तक मांगे पूरी नहीं की हैं। अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर कांग्रेस सरकार के वक्त से आंदोलन चल रहा है। दिवंगत पंचायत शिक्षाकर्मी संघ की महिलाएं और परिजन 307 दिनों से धरने पर हैं। इनका कहना है कि कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल ने उनकी मांगों को नजरअंदाज किया था। तब भाजपा नेताओं ने उन्हें पूरा समर्थन दिया था। प्रदर्शनकारियों में वे लोग शामिल हैं, जिनके परिजन संविलियन (समायोजन) से पहले ही दिवंगत हो गए थे। नियमों में अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान होने के बावजूद इन्हें अब तक नौकरी नहीं दी गई है।
अनुकंपा नियुक्ति न मिलने पर डिप्टी सीएम विजय शर्मा के घर के बाहर फिनाइल पीने वाले प्रदर्शनकारी अश्वनी सोनवानी की हालत में अब सुधार है। अश्वनी के साथ अस्पताल में मौजूद उनकी साथी राजेश्वरी दुबे ने इस बात की पुष्टि की है। राजेश्वरी दुबे का कहना है, कि घटना के बाद सभी राजनेता केवल मीडिया में बयानबाजी कर रहे है, उनसे मिलने कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से अब तक कोई भी नहीं आया है। राजेश्वरी दुबे ने भास्कर से चर्चा के दौरान कहा कि फिनाइल पीने की वजह से अश्वनी के मुंह में छाले पड़ गए हैं। अश्वनी को घटना के बाद डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल (मेकाहारा) में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें ऑब्जर्वेशन में रखा था। 24 घंटे के बाद उनकी हालत में अब सुधार हो रहा है। शुक्रवार को जब भर्ती कराया गया था, तब डॉक्टर ने शनिवार 23 मई को डिस्चार्ज करने के लिए कहा था। शनिवार शाम चार बजे डॉक्टरों से डिस्चार्ज करने के लिए पूछा तो उन्होंने रविवार 24 मई को डिस्चार्ज करने की बात कही है। प्रदर्शनकारी अड़े हमें नौकरी चाहिए डिप्टी सीएम विजय शर्मा के घर के बाहर प्रदर्शनकारियों द्वारा फिनाइल पीने की घटना के बाद पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को माना स्थित धरनास्थल भेज दिया है। प्रदर्शनकारी धरनास्थल में अभी भी आंदोलन कर रहे हैं। अश्वनी सोनवानी के साथ अस्पताल में मौजूद उनकी साथी राजेश्वरी का कहना है कि हमारी एक सूत्रीय मांग है, नौकरी दी जाए। जब तक हमें नौकरी नहीं दी जाएगी, हम आंदोलन करते रहेंगे। आंदोलनकारियों के अनुसार वे अफसरों वाली नौकरी नहीं मांग रहे हैं। आंदोलनकारियों का कहना है कि उनकी योग्यता अनुसार नौकरी दी जाए, बस यही मांग है। चुनाव में वादा करके भूल गई सरकार प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि भाजपा सरकार ने वादा करके भी अब तक मांगे पूरी नहीं की हैं। अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर कांग्रेस सरकार के वक्त से आंदोलन चल रहा है। दिवंगत पंचायत शिक्षाकर्मी संघ की महिलाएं और परिजन 307 दिनों से धरने पर हैं। इनका कहना है कि कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल ने उनकी मांगों को नजरअंदाज किया था। तब भाजपा नेताओं ने उन्हें पूरा समर्थन दिया था। प्रदर्शनकारियों में वे लोग शामिल हैं, जिनके परिजन संविलियन (समायोजन) से पहले ही दिवंगत हो गए थे। नियमों में अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान होने के बावजूद इन्हें अब तक नौकरी नहीं दी गई है।