समर्थन मूल्य व समान निधि के बाद भी किसानों ने लिया 1189 करोड़ का कर्ज, आखिर क्यों बढ़ रहा बोझ? आंकड़ों से समझें स्थिति
CG News: छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है। यहां की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खेती पर निर्भर है। किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं।

CG News: छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है। यहां की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खेती पर निर्भर है। किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी और राजीव गांधी किसान न्याय योजना जैसी योजनाओं के जरिए किसानों को राहत देने का प्रयास होता रहा है। इसके साथ ही समान निधि योजना भी किसानों को आर्थिक मजबूती देने के लिए लागू है।
फिर भी आंकड़े चौंकाने वाले हैं। हाल ही में सामने आए आंकड़ों के अनुसार किसानों ने बीते खरीफ सीजन में कुल 1189 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। यह सवाल उठाता है कि आखिर समर्थन मूल्य और समान निधि जैसी योजनाओं के बावजूद किसानों को कर्ज लेने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
किसानों ने 1186 करोड़ से ज्यादा कर्ज ले लिया
धान के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी और प्रोत्साहन के रूप में सरकारी सहायता के बाद भी किसान कर्ज से उबर नहीं पा रहे हैं। खरीफ सीजन की अभी शुरूआत है और जिला सहकारी बैंक के अधीन आने वाले तीन जिले के किसानों ने 1186 करोड़ से ज्यादा कर्ज ले लिया। वहीं बैंक ने पूरे सीजन में 1400 करोड़ रुपए ऋण वितरण का लक्ष्य रखा है।
खेती को लाभकारी बनाकर किसानों को कर्ज से मुक्त करने प्रभावी कदमों की मांग लगातार उठती रही है। इसे देखते हुए राज्य व केंद्र सरकार द्वारा किसानों के हित में कई प्रोत्साहन योजनाएं भी चलाई जा रहीं हैं। इसके तहत समर्थन मूल्य पर कृषि उपजों की खरीदी के साथ कई जरूरी चीजों पर सब्सिडी की व्यवस्था दी जा रही है। राज्य सरकार द्वारा इस बार 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की गई है। वहीं केंद्र की प्रधानमंत्री किसान समान निधि के रूप में अलग से आर्थिक प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है।
इस आंकड़ों से समझें कर्ज की स्थिति

इन योजनाओं से सीधा लाभ
3100 रुपए समर्थन मूल्य : प्रदेश सरकार द्वारा राज्य व केंद्र के समर्थन मूल्य को मिलाकर पिछली बार 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान की खरीदी की गई है। इस तरह प्रत्येक किसान को हजारों रुपए का लाभ मिला।
किसान समान निधि : केंद्र सरकार द्वारा यह योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत प्रत्येक किसान को सालाना 6 हजार रुपए नगद देने का प्रावधान किया गया है। यह राशि भी किसानों को 2-2 हजार रुपए के तीन किस्त में उपलब्ध कराया जाता है।
सब्सिडी और मुफ्त स्कीम : केंद्र व राज्य सरकार द्वारा खाद, बीज व कृषि उपयोगी अन्य सामग्रियों पर इनपुट सब्सिडी का प्रावधान है। इसका लाभ लगभग हर किसान को मिलता है। सिंचाई पपों को मुफ्त बिजली दी जाती है।
समान निधि योजना का उद्देश्य
समान निधि योजना का उद्देश्य किसानों को फसल बोने और कृषि कार्यों के लिए अग्रिम पूंजी उपलब्ध कराना है, ताकि उन्हें साहूकारों या महाजनों पर निर्भर न होना पड़े। योजना के अंतर्गत किसानों को ब्याजमुक्त ऋण दिया जाता है।
कर्ज लेने की मजबूरी
1189 करोड़ के कर्ज का आंकड़ा यह दर्शाता है कि
- खेती की लागत बढ़ी- खाद, बीज, कीटनाशक और डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं।
- अनिश्चित मौसम- समय पर बारिश न होना या बेमौसम वर्षा किसानों की मेहनत पर पानी फेर देती है।
- परिवार की जरूरतें- कृषि आय के साथ-साथ परिवार की स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक खर्चे भी बढ़ते हैं।
- समय पर भुगतान की दिक्कतें- समर्थन मूल्य की राशि या समान निधि का लाभ मिलने में विलंब होने पर किसान कर्ज की ओर रुख करते हैं।
समाधान की दिशा
- किसानों को समय पर भुगतान और योजनाओं का लाभ सुनिश्चित कराया जाए।
- फसल बीमा योजनाओं को और सशक्त बनाया जाए।
- लागत कम करने के लिए सस्ती खाद-बीज उपलब्ध हों।
- कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देकर किसानों को वैकल्पिक आय स्रोत मिलें।

लागत मूल्य की तुलना में कृषि लाभकारी नहीं है। सरकारी योजनाओं से किसानों को राहत जरूर मिल रही है, लेकिन मौसम से संबंधित खतरों के कारण किसान खेती में ज्यादा रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में कर्ज ही विकल्प रह जाता है।इसलिए किसानों को कर्ज लेना पड़ता है। – राजकुमार गुप्ता, संयोजक, छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन।
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