CG News: आंबेडकर अस्पताल में महंगी दवा खरीदने को लेकर उठ रहे सवाल, फार्मासिस्ट के पास 45 स्लिप का हिसाब नहीं
CG News: महंगी टैबलेट रेबोलसेस की कीमत प्रति स्ट्रिप 3000 रुपए है। यानी एक टैबलेट 300 रुपए की। एक रुपए की दवा बांटने में नाकाम प्रबंधन व सीजीएमएससी ने इतनी महंगी दवा क्यों खरीदी, इस पर भी जानकार सवाल उठा रहे हैं।
CG News: आंबेडकर अस्पताल में डायबिटीज ठीक करने वाली महंगी रेबोलसेस टैबलेट बांटने की जांच पूरी हो गई है। इसमें मेडिसिन विभाग का फार्मासिस्ट फंसता दिख रहा है। कमेटी की जांच पूरी हो गई है, लेकिन अभी रिपोर्ट प्रबंधन को नहीं सौंपी है, लेकिन फार्मासिस्ट पर कार्रवाई तय मानी जा रही है। डॉक्टरों की भूमिका पर कमेटी द्वारा कुछ खास सवाल नहीं उठाने की जानकारी सामने आ रही है।
डायबिटीज की महंगी टैबलेट रेबोलसेस की कीमत प्रति स्ट्रिप 3000 रुपए है। यानी एक टैबलेट 300 रुपए की। एक रुपए की दवा बांटने में नाकाम प्रबंधन व सीजीएमएससी ने इतनी महंगी दवा क्यों खरीदी, इस पर भी जानकार सवाल उठा रहे हैं। कमेटी ने मरीजों की एक-एक पर्ची की जांच की। इसमें 45 पर्ची में मरीजों के नाम स्पष्ट नहीं है। यानी फार्मासिस्ट ने खेल कर दिया है।
चूंकि महंगी दवा थी और डायबिटीज के मरीजों के लिए कारगर है इसलिए इसमें मनमर्जी से भी बांटने की बात भी सामने आ रही है। मेडिसिन विभाग के एक सीनियर डॉक्टर ने भी टैबलेट का बेतहाशा उपयोग किया है। बाजार में इससे काफी कम कीमत में डायबिटीज की दवा उपलब्ध है। जो मरीजों को आसानी से बांटी जा सकती है। जानकार इसमें कमीशनखोरी होने की बात कह रहे हैं। दरअसल रीएजेंट व मेडिकल उपकरण घोटाले में इसकी पुष्टि हो गई है कि सीजीएमएससी में कमीशनखोरी आम है।
अधीक्षक से बहस करना भारी पड़ा
अस्पताल प्रबंधन ने जांच के लिए जरूर कमेटी बनाई थी, लेकिन इसे ठंडे बस्ते में डालना चाहता था। मेडिसिन विभाग का फार्मासिस्ट एसोसिएशन से जुड़ा हुआ है इसलिए कुछ दिनों पहले अस्पताल अधीक्षक से बहस कर बैठा। बताया जाता है कि इससे अधीक्षक काफी नाराज हुए और कमेटी को जांच रिपोर्ट जल्द देने को कहा। फार्मासिस्ट बहस नहीं करते तो हो सकता है कि जांच रिपोर्ट सौंपी ही नहीं जाती या इसमें काफी देरी की जाती।
अस्पताल प्रबंधन ने कार्डियोलॉजी विभाग की मांग पर 22 हजार टैबलेट की डिमांड की थी। इनमें एक चौथाई यानी 5 हजार टैबलेट ही आई। इसमें सभी खप गई है। 10 टेबलेट रेबोलसेस की कीमत 3000 रुपए है। एक मरीज को एक माह की दवा 9 हजार रुपए पड़ रही है। इतनी महंगी दवा सीजीएमएससी ने सप्लाई की थी।
कार्डियोलॉजी विभाग में 3200 टैबलेट पहुंची थी। इसमें आधी यानी 1600 टैबलेट का उपयोग किया गया। विभाग में फार्मेसी सेंटर बंद हो गया तो बची हुई टैबलेट मिनी दवा स्टोर को वापस कर दी गई थी। मेडिसिन विभाग में भी करीब 3400 के आसपास टैबलेट मरीजों को बांटी गई थी। दोनों विभागों में 5 हजार टैबलेट की खपत हुई है। इसकी कीमत 15 लाख रुपए है। यह दवा हार्ट के अलावा डायबिटीज के मरीजों को दी गई है।
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