स्कूलों में नई ड्यूटी..! शिक्षकों को अब कुत्तों की गणना का काम… रंग, लिंग और स्वभाव तक की देनी होगी जानकारी
CG News: रायपुर शिक्षकों को बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ अब स्कूल परिसर में मंडराने वाले कुत्तों का भी हिसाब रखना होगा। उन्हें यह भी बताना होगा कि वह नर है या मादा, उसका रंग कैसा है?
CG News: छत्तीसगढ़ के रायपुर शिक्षकों को बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ अब स्कूल परिसर में मंडराने वाले कुत्तों का भी हिसाब रखना होगा। उन्हें यह भी बताना होगा कि वह नर है या मादा, उसका रंग कैसा है? आवारा या पालतू है? काटने वाला है या नहीं काटने वाला कुत्ता है?
यह जानकारी निर्धारित प्रपत्र में भरना होगा। दरअसल शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है कि स्कूल परिसर में आने वाले कुत्तों की पूरी जानकारी देनी है। इससे हिंसक कुत्तों द्वारा किसी छात्र-छात्रा को नुकसान न पहुंचाया जा सके। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने इससे संबंधित आदेश जारी किया था। इसके बाद शिक्षा विभाग ने भी सभी स्कूलों के लिए आदेश जारी कर दिया है।
CG News: शिक्षकों के लिए मुश्किल भरा काम
स्कूल परिसर में आने वाले आवारा कुत्तों के संबंध में इतनी जानकारी जुटाना मुश्किल भरा है। खासकर नर या मादा, पालतू, आवारा की पहचान करना भी कठिन है। स्कूलों में शिक्षक बच्चों को पढ़ाने में व्यस्त रहते हैं। इस दौरान कुत्ते स्कूल परिसर में आते हैं, उसके बारे में इतनी जानकारी लेना मुश्किल होगा। कुत्ता एक जगह स्थिर नहीं रहते हैं। झुंड में इधर-उधर घूमते रहते हैं। ऐसे में जानकारी जुटाना शिक्षकों के लिए बड़ी परेशानी वाला काम हो जाएगा।
हिंसक हो रहे कुत्ते… ताकि रेस्क्यू किया जा सके
शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों के लिए जारी प्रपत्र में स्कूल की सामान्य जानकारी के अलावा परिसर में आने वालों कुत्तों के प्रकार बताना है। इसमें कुत्तों के प्रकार कॉलम में मेल-फीमेल, रंग और विशेष पहचान की जानकारी देनी है। इसके बाद देखने का समय एवं दिनांक भरना है। इसके बाद आवश्यक रूप से बताना है कि कुत्ता काटने वाला है या नहीं? आवारा है या पालतू? इसकी जानकारी भरनी है।
शिक्षकों के लिए मुश्किल भरा काम
स्कूल परिसर में आने वाले आवारा कुत्तों के संबंध में इतनी जानकारी जुटाना मुश्किल भरा है। खासकर नर या मादा, पालतू, आवारा की पहचान करना भी कठिन है। स्कूलों में शिक्षक बच्चों को पढ़ाने में व्यस्त रहते हैं। इस दौरान कुत्ते स्कूल परिसर में आते हैं, उसके बारे में इतनी जानकारी लेना मुश्किल होगा। कुत्ता एक जगह स्थिर नहीं रहते हैं। झुंड में इधर-उधर घूमते रहते हैं। ऐसे में जानकारी जुटाना शिक्षकों के लिए बड़ी परेशानी वाला काम हो जाएगा।
शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों के लिए जारी प्रपत्र में स्कूल की सामान्य जानकारी के अलावा परिसर में आने वालों कुत्तों के प्रकार बताना है। इसमें कुत्तों के प्रकार कॉलम में मेल-फीमेल, रंग और विशेष पहचान की जानकारी देनी है। इसके बाद देखने का समय एवं दिनांक भरना है। इसके बाद आवश्यक रूप से बताना है कि कुत्ता काटने वाला है या नहीं? आवारा है या पालतू? इसकी जानकारी भरनी है।
हिंसक हो रहे कुत्ते… ताकि रेस्क्यू किया जा सके
स्कूल परिसर में आने वाले कुत्तों के संबंध में शिक्षकों को जानकारी देनी है। इससे आवारा कुत्तों का रेस्क्यू किया जा सके। शिक्षकों को जो प्रपत्र दिए गए हैं, उन्हें भरकर देना है। इसी के आधार पर नगर निगम या संबंधित रेस्क्यू टीम को सूचना दी जाएगी।
रायपुर डीईओ हिमांशु भारतीय ने कहा की शहर हो या ग्रामीण इलाका, आवारा कुत्ते काफी हिंसक हो रहे हैं। छोटे बच्चों से लेकर बड़ों पर भी हमला कर रहे हैं। मासूम बच्चों पर कुत्तों द्वारा हमले के कई मामले सामने आ चुके हैं। रायपुर में ही कई घटनाएं हो चुकी हैं। स्कूल परिसर में आने वाले कुत्तों को लेकर भी स्कूल विभाग ने चिंता जताई है।
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