रामगढ़ को बचाने TS सिंहदेव ने सीएम को लिखी चिट्ठी:कहा- गलत प्रतिवेदन देकर खदान खोलने की कोशिश, बर्बाद हो जाएगी राम की विरासत

सरगुजा जिले के हसदेव अरण्य क्षेत्र में केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक को वनविभाग की अनुज्ञा और इस खदान की वजह से सरगुजा की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर रामगढ़ पर्वत पर संभावित संकट को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को 6 पन्नों का पत्र भेजा है। सिंहदेव ने कहा कि सरगुजा डीएफओ ने इस खदान को स्वीकृति देने के लिए जिस 10 बिंदु के स्थल प्रतिवेदन को तैयार किया गया है, उसे शासकीय रिकॉर्ड में मौजूद तथ्यों को छिपाया गया है। सीएम को भेजे गए पत्र में सिंहदेव ने कहा है कि भगवान श्रीराम के वनवास काल से रामगढ़ जुड़ा है। साथ ही यहां संरक्षित धरोहर सीता बेंगरा और जोगीमारा गुफा के साथ विश्व की प्राचीन नाट्यशाला है। इस क्षेत्र का अपना एक पर्यावरणीय प्रभाव और वन्यजीव का आवासीय स्थल है जो इस खदान के 10 किमी के दायरे में है। वर्तमान में संचालित पीकेईबी खदान में विस्फोट के कारण रामगढ़ की पहाड़ी दरक रही है। डीएफओ ने गलत रिपोर्ट से दी सहमति सिंहदेव ने अपने पत्र में बताया है कि DFO ने केते एक्सटेंशन खदान के लिए फारेस्ट डायवर्सन की अनापत्ति में गलत रिपोर्ट दी है। स्थल निरीक्षण प्रतिवेदन के बिंदु 10 में रामगढ़ से केते एक्सटेंशन खदान की दूरी 11 किलोमीटर बताई गई है। यह तथ्यात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण है। सिंहदेव ने बताया है कि राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड द्वारा तैयार सर्वेक्षण रिपोर्ट में खनन क्षेत्र के कोने केईएक्स 3 से सीता बेंगरा की दूरी 11 किलोमीटर बताई गई है जो वास्तव में 9.53 किलोमीटर है। प्रतिवेदन में रामगढ़ के प्राचीन राम मंदिर का उल्लेख नहीं है, जिसकी दूरी 9.13 किलोमीटर है। रामगढ़ का मंदिर एवं पूरा पहाड़ भारतीय पुरातत्व सवेक्षण द्वारा संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। रामगढ़ पहाड़ से खदान के सीमा की दूरी 8.1 किलोमीटर है। वर्तमान में संचालित कोल ब्लॉक PKEB की भी सीमा है। अर्थात वर्तमान में संचालित खदान भी गलत रिपोर्ट पर स्वीकृत की गई है। 4.5 लाख पेड़ कटेंगे, नो गो एरिया में खदान सिंहदेव ने पत्र में बताया है कि केते एक्सटेंशन खदान के कुल क्षेत्रफल 1742.155 हेक्टेयर में 99 प्रतिशत वन क्षेत्र है, जो घना जंगल है। खदान को स्वीकृति दिए जाने से यहां 4.5 लाख पेड़ कटेंगे। DFO ने अपने प्रतिवेदन में लेमरू हाथी अभ्यारण का उल्लेख ही नहीं किया गया है, जो 10 किलोमीटर की परिधि में आता है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून ने NGT के आदेशानुसार पूरे हसदेव अरण्य कोलफील्ड के मूल्यांकन पश्चात इसे नो गो एरिया घोषित कर खनन के लिए नो गो एरिया घोषित किया गया है। 20 साल का कोयला शेष, नए खदान की जरूरत नहीं सिंहदेव ने पत्र में उल्लेख किया है कि परसा कोयला खदान से राजस्थान राज्य विद्युत विभाग के 4350 मेगावाट के विद्युत संयंत्र में कोल आपूर्ति अगले 20 साल की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। इसके बावजूद नये खदान को खोल सरगुजा की धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय विरासत पर हमला करने के औचित्य पर उन्होंने सवाल उठाया है। सिंहदेव ने मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में केते एक्सटेंशन खदान को खोले जाने के खिलाफ छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित संकल्प का भी ध्यान दिलाया, जिसे भाजपा के विधायकों ने भी समर्थन किया था। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से पत्र के माध्यम से रामगढ़ पर्वत और सरगुजा के पर्यावरण को बचाने के लिए निर्णायक पहल कर निर्णय लेने की मांग की है।

Sep 2, 2025 - 12:38
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रामगढ़ को बचाने TS सिंहदेव ने सीएम को लिखी चिट्ठी:कहा- गलत प्रतिवेदन देकर खदान खोलने की कोशिश, बर्बाद हो जाएगी राम की विरासत
सरगुजा जिले के हसदेव अरण्य क्षेत्र में केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक को वनविभाग की अनुज्ञा और इस खदान की वजह से सरगुजा की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर रामगढ़ पर्वत पर संभावित संकट को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को 6 पन्नों का पत्र भेजा है। सिंहदेव ने कहा कि सरगुजा डीएफओ ने इस खदान को स्वीकृति देने के लिए जिस 10 बिंदु के स्थल प्रतिवेदन को तैयार किया गया है, उसे शासकीय रिकॉर्ड में मौजूद तथ्यों को छिपाया गया है। सीएम को भेजे गए पत्र में सिंहदेव ने कहा है कि भगवान श्रीराम के वनवास काल से रामगढ़ जुड़ा है। साथ ही यहां संरक्षित धरोहर सीता बेंगरा और जोगीमारा गुफा के साथ विश्व की प्राचीन नाट्यशाला है। इस क्षेत्र का अपना एक पर्यावरणीय प्रभाव और वन्यजीव का आवासीय स्थल है जो इस खदान के 10 किमी के दायरे में है। वर्तमान में संचालित पीकेईबी खदान में विस्फोट के कारण रामगढ़ की पहाड़ी दरक रही है। डीएफओ ने गलत रिपोर्ट से दी सहमति सिंहदेव ने अपने पत्र में बताया है कि DFO ने केते एक्सटेंशन खदान के लिए फारेस्ट डायवर्सन की अनापत्ति में गलत रिपोर्ट दी है। स्थल निरीक्षण प्रतिवेदन के बिंदु 10 में रामगढ़ से केते एक्सटेंशन खदान की दूरी 11 किलोमीटर बताई गई है। यह तथ्यात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण है। सिंहदेव ने बताया है कि राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड द्वारा तैयार सर्वेक्षण रिपोर्ट में खनन क्षेत्र के कोने केईएक्स 3 से सीता बेंगरा की दूरी 11 किलोमीटर बताई गई है जो वास्तव में 9.53 किलोमीटर है। प्रतिवेदन में रामगढ़ के प्राचीन राम मंदिर का उल्लेख नहीं है, जिसकी दूरी 9.13 किलोमीटर है। रामगढ़ का मंदिर एवं पूरा पहाड़ भारतीय पुरातत्व सवेक्षण द्वारा संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। रामगढ़ पहाड़ से खदान के सीमा की दूरी 8.1 किलोमीटर है। वर्तमान में संचालित कोल ब्लॉक PKEB की भी सीमा है। अर्थात वर्तमान में संचालित खदान भी गलत रिपोर्ट पर स्वीकृत की गई है। 4.5 लाख पेड़ कटेंगे, नो गो एरिया में खदान सिंहदेव ने पत्र में बताया है कि केते एक्सटेंशन खदान के कुल क्षेत्रफल 1742.155 हेक्टेयर में 99 प्रतिशत वन क्षेत्र है, जो घना जंगल है। खदान को स्वीकृति दिए जाने से यहां 4.5 लाख पेड़ कटेंगे। DFO ने अपने प्रतिवेदन में लेमरू हाथी अभ्यारण का उल्लेख ही नहीं किया गया है, जो 10 किलोमीटर की परिधि में आता है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून ने NGT के आदेशानुसार पूरे हसदेव अरण्य कोलफील्ड के मूल्यांकन पश्चात इसे नो गो एरिया घोषित कर खनन के लिए नो गो एरिया घोषित किया गया है। 20 साल का कोयला शेष, नए खदान की जरूरत नहीं सिंहदेव ने पत्र में उल्लेख किया है कि परसा कोयला खदान से राजस्थान राज्य विद्युत विभाग के 4350 मेगावाट के विद्युत संयंत्र में कोल आपूर्ति अगले 20 साल की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। इसके बावजूद नये खदान को खोल सरगुजा की धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय विरासत पर हमला करने के औचित्य पर उन्होंने सवाल उठाया है। सिंहदेव ने मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में केते एक्सटेंशन खदान को खोले जाने के खिलाफ छत्तीसगढ़ विधानसभा में पारित संकल्प का भी ध्यान दिलाया, जिसे भाजपा के विधायकों ने भी समर्थन किया था। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से पत्र के माध्यम से रामगढ़ पर्वत और सरगुजा के पर्यावरण को बचाने के लिए निर्णायक पहल कर निर्णय लेने की मांग की है।

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